आज से NIA उगलवाएगी मुंबई हमले के गुनहगार तहव्वुर राणा से सच, पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क की खुलेंगी परतें
तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने डेविड कोलमैन हेडली (उर्फ दाऊद गिलानी) और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी के साथ मिलकर 26/11 मुंबई हमले की साजिश रची थी।
गुरुवार, 10 अप्रैल 2025 का दिन भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में दर्ज हुआ, जब 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में कड़ी सुरक्षा के बीच पेश किए गए राणा को कोर्ट ने 18 दिनों की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की रिमांड पर भेज दिया। एनआईए ने राणा से गहन पूछताछ के लिए 20 दिनों की रिमांड की मांग की थी, ताकि मुंबई हमले की साजिश और इससे जुड़े आतंकी नेटवर्क के हर पहलू को उजागर किया जा सके।
तहव्वुर राणा को कोर्ट तक लाने के लिए विशेष बख्तरबंद गाड़ी का इस्तेमाल किया गया। कोर्ट परिसर के बाहर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के साथ-साथ अन्य अर्धसैनिक बलों के जवानों की भारी तैनाती थी। सुरक्षा व्यवस्था इतनी सघन थी कि किसी भी अप्रिय घटना की कोई गुंजाइश न रहे। राणा को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआईए) से सीधे कोर्ट लाया गया, जहां एनआईए ने औपचारिक रूप से उसकी गिरफ्तारी दर्ज की। यह गिरफ्तारी भारत की कूटनीतिक और कानूनी दृढ़ता का परिणाम थी, जिसने वर्षों की मेहनत के बाद राणा को भारतीय न्याय के कटघरे में खड़ा किया।
#WATCH | Delhi | Morning visuals from NIA headquarters where 26/11 Mumbai attacks accused Tahawwur Rana was brought late in the night.
Rana will remain in NIA custody for 18 days, during which time the agency will question him in detail in order to unravel the complete… pic.twitter.com/YOSvZrTuO6
एनआईए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान ने अदालत में पक्ष रखा. जब अदालत ने राणा से पूछा कि क्या उसके पास कोई वकील है, तो उसने कहा कि नहीं है. इसके बाद दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से अधिवक्ता पीयूष सचदेवा को राणा की पैरवी के लिए नियुक्त किया गया.
#WATCH | 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को 18 दिन की NIA हिरासत में भेजा गया। दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहव्वुर राणा के वकील ने कहा, "NIA ने 20 दिन की पुलिस हिरासत मांगी थी। कोर्ट ने जांच के लिए 18 दिन की कस्टडी दी है। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि हिरासत में… pic.twitter.com/LLiruw6SsD
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण एक जटिल और लंबी प्रक्रिया का परिणाम है। एनआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के वरिष्ठ अधिकारियों की एक विशेष टीम ने अमेरिका के लॉस एंजिल्स से राणा को भारत लाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया। राणा को लॉस एंजिल्स के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर से एक विशेष विमान के जरिए दिल्ली लाया गया। इस ऑपरेशन में अमेरिकी न्याय विभाग (यूएसडीओजे) और अमेरिकी स्काई मार्शल ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया। भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत शुरू की गई इस कार्यवाही में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रत्यर्पण की औपचारिक घोषणा फरवरी 2025 में तब हुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, “हम एक बेहद हिंसक व्यक्ति को तुरंत भारत वापस भेज रहे हैं, ताकि उसे भारत में न्याय के दायरे में लाया जा सके।” इसके बाद राणा की प्रत्यर्पण प्रक्रिया ने तेजी पकड़ी। राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में प्रत्यर्पण रोकने की आखिरी कोशिश की थी, लेकिन वह नाकाम रहा।
मुंबई हमले की साजिश और राणा की भूमिका
तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने डेविड कोलमैन हेडली (उर्फ दाऊद गिलानी) और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी के साथ मिलकर 26/11 मुंबई हमले की साजिश रची थी। 26 नवंबर 2008 को हुए इस आतंकी हमले ने मुंबई को दहला दिया था, जिसमें 160 से अधिक लोग मारे गए थे और लगभग 240 लोग घायल हुए थे। राणा पर हेडली को मुंबई में रेकी करने और हमले की योजना को अंजाम देने में सहायता प्रदान करने का आरोप है।
एनआईए अब राणा से उन सभी आतंकी नेटवर्कों का पर्दाफाश करने की कोशिश करेगी, जो भारत में आतंक फैलाने की साजिश रच रहे हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि राणा की पूछताछ से मुंबई हमले के अनछुए पहलुओं और अन्य संभावित आतंकी योजनाओं का खुलासा हो सकता है। लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी को भारत ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) के तहत आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
न्याय की दिशा में एक कदम
एनआईए ने अपने बयान में कहा, “2008 के मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता को न्यायिक प्रक्रिया के दायरे में लाने के लिए सालों से किए जा रहे प्रयास आखिरकार सफल हुए।” यह प्रत्यर्पण न केवल भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को भी मजबूत करता है। राणा की गिरफ्तारी और रिमांड उन सभी शहीदों और पीड़ितों के परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो मुंबई हमले की त्रासदी से प्रभावित हुए थे।
आज से शुरू होने वाली एनआईए की पूछताछ से यह उम्मीद जताई जा रही है कि राणा के बयानों से आतंकी नेटवर्क की गहरी परतें उजागर होंगी और भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में और मजबूती मिलेगी।
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