2 कारणों से हटे अन्नामलाई
सूत्रों के मुताबिक, अन्नामलाई को 2 कारणों से पद छोड़ना पड़ा। पहला कारण रहा कि एआईएडीएमके ने उनके हटने की स्थिति में ही गठबंधन करने की शर्त रखी थी। दूसरा कारण है कि एआईएडीएमके नेता पलानीस्वामी भी उसी गौंडर जाति से हैं, जिससे अन्नामलाई हैं। ऐसे में दोनों घटक दलों के नेता एक जाति से होने से सोशल इंजीनियरिंग प्रभावित होती। इसलिए पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बदलने का निर्णय लिया।
अन्नामलाई बन सकते हैं मंत्री
चूंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में अन्नामलाई के नेतृत्व में पार्टी अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन तोड़ने के बावजूद डबल डिजिट वोट शेयर(11.4 %) हासिल करने में सफल रही। ऐसे में पार्टी उन्हें खाली बैठाने की जगह, राष्ट्रीय स्तर पर मौका देकर भविष्य के लिए तैयार करना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक, तमिलनाडु कोटे से केंद्र में मंत्री बने एल मुरुगन की जगह पर आगामी फेरबदल में मौका मिल सकता है। दलित चेहरे एल मुरुगन मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। सूत्रों का कहना है कि 2026 में मुरुगन को राज्य की राजनीति में भेजकर विधानसभा का चुनाव लडा़या जा सकता है, बदले में अन्नामलाई को उनकी जगह राज्यसभा भेजा जाएगा। मोदी सरकार में मंत्री के तौर पर अन्नामलाई को राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी क्षमताएं और बढेंगी। अन्नामलाई के कारण टूटा था गठबंधन
आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आए अन्नामलाई को जब भाजपा ने 2021 में तमिलनाडु का अध्यक्ष बनाया तो उन्होंने ‘एकला चलो’ का रास्ता अपनाया। एआईएडीएमके को भी कई मुद्दों पर घेरने से पीछे नहीं हटे। चूंकि एआईएडीएमके दो गुटों में बंटी रही तो भाजपा ने उसकी नाराजगी को बहुत गंभीरता से नहीं लिया। पार्टी को लगा कि अकेले पैर जमाने का यही सही मौका है।
अन्नामलाई की स्टाइल के कारण एआईएडीएमके ने गठबंधन तोड़ने का एलान किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और एआईडीएमके का खाता भी नहीं खुला। अगर दोनों साथ लड़तीं तो 12 सीटों पर जीत हासिल हो सकती है। इससे सबक लेते हुए दोनों दलों ने फिर से साथ आने की सोची। गृहमंत्री अमित शाह के साथ बीते 25 मार्च को एआईएडीएमके नेता पलानीस्वामी की भेंट के बाद गठबंधन की कवायद तेजी से आगे बढ़ती दिख रही है। चूंकि अन्नामलाई के तीखे तेवर के साथ अन्नाद्रमुक कभी सहज नहीं थी। इसलिए उन्हें पद छोड़ना पड़ा है।