कोर्ट ने मंत्री पद की शपथ लेने पर जताई आपत्ति
वहीं सुनवाई के दौरान पीठ ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि बालाजी ने जमानत मिलने के तुरंत बाद मंत्री पद की शपथ ले ली थी। वहीं सुनवाई के दौरान जस्टिस ओका ने सेंथिल बाजाली की ओरे से पेश अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पूछा कि आपको मंत्री और जमानत के बीच चुनाव करना होगा। इस दौरान जस्टिस ने पिछले फैसलों में की गई टिप्पणियों का भी जिक्र किया।
‘जमानत गुण दोष के आधार पर नहीं दी गई’
जस्टिस ओका ने कहा कि आपको जमानत गुण दोष के आधार पर नहीं बल्कि अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के आधार पर दी गई थी। ED की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सेंथिल बाजाली ने जमानत के लिए दलील देते हुए कहा था कि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
इससे उद्देश्य पूरा नहीं होगा- जस्टिस ओका
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा यदि उनके द्वारा प्रभावित किए जाने की आशंका है तो मुकदमे को राज्य से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है। बता दें कि कपिल सिब्बल सेंथिल बालाजी की ओर से पेश हुए थे। इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि इससे उद्देश्य पूरा नहीं होगा। एक हजार गवाह है।
2023 में सेंथिल बालाजी को किया था गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें जून 2023 में गिरफ्तार किया था, और सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2024 को लंबी हिरासत और मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत दी थी।
जमानत मिलने पर ली थी मंत्री पद की शपथ
जमानत मिलने के तीन दिन बाद 29 सितंबर 2024 को बालाजी को तमिलनाडु की DMK सरकार में फिर से बिजली, गैर-पारंपरिक ऊर्जा, और उत्पाद शुल्क विभागों के मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। क्या है पूरा मामला
सेंथिल बालाजी पर 2011-2015 के दौरान AIADMK सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए “नौकरी के बदले नकद” घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं।