नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका में बड़े स्तर पर 19 से 21 अप्रैल तक चले इस धार्मिक जलसे में देशभर से करीब 15 लाख मुसलमानों ने हिस्सा लिया। इस दौरान मौलाना साद ने नमाज की पाबंदी, गुनाहों से तौबा और नेक राह अपनाने का पैगाम दिया। उन्होंने कहा कि इस्लाम किसी भी ऐसे काम की इजाज़त नहीं देता। जिससे किसी को तकलीफ पहुंचे या समाज में बुराई फैले। मौलाना साद ने बताया कि जलसे में सिर्फ दीन की बातें की गईं। इस दौरान जलसे में शामिल होने आए मुसलमानों ने किसी भी प्रकार की दुनियावी या राजनीतिक चर्चा से दूरी बनाए रखी।
देशभर में प्रचार के लिए बनीं 200 से ज्यादा जमातें
मौलाना साद की मानें तो इस विशाल धार्मिक आयोजन में राजस्थान के अलवर, हरियाणा के फरीदाबाद और मेवात, उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न कोनों से लोग पहुंचे। इस तब्लीगी जमात के तीन दिवसीय इज्तिमा के दौरान 200 से अधिक जमातों का गठन किया गया। प्रत्येक जमात में औसतन दस सदस्य शामिल किए गए हैं, जो अब देशभर के विभिन्न हिस्सों में जाकर इस्लाम की शिक्षाओं और सच्चे मार्ग पर चलने का पैगाम देंगे। इन जमातों को दिल्ली के निजामुद्दीन तक पहुंचाने के लिए लगभग 30 बसों की व्यवस्था की गई थी। जलसे के समापन के तुरंत बाद इन्हें रवाना किया गया। भारी भीड़ से बने जाम के हालात, प्रशासन ने संभाला मोर्चा
जलसे में लाखों लोगों की भागीदारी का असर यातायात पर भी पड़ा। नूंह-अलवर नेशनल हाईवे पर करीब 5 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। वहीं फिरोजपुर झिरका से भरतपुर जाने वाले मार्ग पर भी वाहनों की लंबी कतारें देखी गईं। लोग मोटरसाइकिल, कार, ट्रैक्टर और ट्रकों से पहुंचे थे। हालांकि ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने पुलिस बल की तैनाती की थी। जिससे धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो गई। इसके बावजूद आयोजन पूर्णतः शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित रहा।
मौलान ने पुलिस और प्रशासन को दिया धन्यवाद
जलसे के अंतिम दिन मौलाना साद ने मंच से जिला प्रशासन का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन की सहयोगात्मक भूमिका से ही यह विशाल आयोजन व्यवस्थित रूप से संपन्न हो सका। आगंतुकों ने भी बताया कि भीड़ के बावजूद किसी तरह की अव्यवस्था या अव्यवस्थित हालात देखने को नहीं मिले। आयोजन स्थल खेतों के बीच था, जहां पार्किंग और बैठने के पर्याप्त प्रबंध किए गए थे।
नई पीढ़ी से इस्लामी शिक्षा घर-घर पहुंचाने का आह्वान
मौलाना साद ने बताया कि तीन दिन तक चले इस आयोजन में देशभर से आए उलेमाओं ने नशा, दहेज, पशु तस्करी जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को इन बुराइयों से बचाने के लिए इस्लामी शिक्षा को घर-घर पहुंचाना ज़रूरी है। मौलाना अशरफ, नुरूदीन, अब्दुल और साहून जैसे कई उलेमा ने कहा कि उन्होंने जलसे से बहुत कुछ सीखा है और अब वे मौलाना साद की बातों को अमल में लाकर दूसरों को भी नेक रास्ते पर चलने की दावत देंगे। 21 एकड़ में लगाया गया पंडाल, 100 एकड़ में बैठे लोग
हरियाणा के नूंह में आयोजित जलसे के लिए आयोजनकर्ताओं ने 21 एकड़ जमीन में बड़ा पंडाल लगवाया। इसके अलावा करीब 100 एकड़ जमीन में लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई थी। खास बात ये है कि जिस जमीन पर जलसा आयोजित किया गया। उसका एक बड़ा हिस्सा हिन्दू समुदाय का है। जलसे में आने वालों के लिए 20-20 एकड़ जमीन में चार जगह वाहन पार्किंग की व्यवस्था भी की गई थी। इसके अलावा पुलिस प्रशासन भी मौके पर तैनात रहा।