script28 साल की बहू ने 68 साल के ससुर…वैवाहिक जीवन से निराश महिला पहुंची कोर्ट, मिली फटकार | Patiala House special court acquitted 3 people including father-in-law accused rape his daughter-in-law in Delhi | Patrika News
नई दिल्ली

28 साल की बहू ने 68 साल के ससुर…वैवाहिक जीवन से निराश महिला पहुंची कोर्ट, मिली फटकार

Patiala House Special Court: अदालत ने टिप्पणी की कि वैवाहिक विवादों के चलते ससुराल पक्ष के पुरुष सदस्यों पर बलात्कार जैसे गंभीर आरोप लगाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके।

नई दिल्लीApr 22, 2025 / 04:54 pm

Vishnu Bajpai

Patiala House Special Court: 28 साल की बहू ने 68 साल के ससुर...वैवाहिक जीवन से निराश महिला पहुंची कोर्ट, मिली फटकार

Patiala House Special Court: 28 साल की बहू ने 68 साल के ससुर…वैवाहिक जीवन से निराश महिला पहुंची कोर्ट, मिली फटकार

Patiala House Special Court: दिल्ली स्थित पटियाला हाउस की स्पेशल कोर्ट ने बहू से दुष्कर्म करने के आरोपी ससुर समेत तीन लोगों को बरी कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि अपने शादीशुदा जीवन से निराश महिला द्वारा अपने ससुर पर लगाए गए आरोप झूठे पाए गए। यह मामला एक बहू द्वारा अपने 68 वर्षीय ससुर पर लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों से जुड़ा था। महिला ने दावा किया था कि उसके ससुर ने न सिर्फ उसके साथ दुष्कर्म किया। बल्कि उसे जान से मारने के इरादे से ‘ऑल आउट’ नामक कीटनाशक जबरन पिला दिया।
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि वैवाहिक जीवन से निराश महिला ने शिकायत में अपने ससुर पर रेप का आरोप लगाया, लेकिन मामले की पड़ताल के दौरान पीड़िता के बयानों में विरोधाभास पाया गया। कोर्ट ने कहा कि तथ्यों और साक्ष्यों की गहन जांच के बाद यह सामने आया कि शिकायतकर्ता महिला की गवाही विरोधाभासों और विसंगतियों से भरी हुई थी। इसके साथ ही दिल्ली स्थित पटियाला हाउस की स्पेशल कोर्ट ने 68 साल के बुजुर्ग ससुर समेत तीन आरोपियों को बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया।

अदालत ने फैसले में स्पष्ट की आरोपियों को बरी करने की वजह

अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जांच और सुनवाई के दौरान महिला के बयानों में निरंतर अंतर देखा गया। जिससे उसकी विश्वसनीयता प्रभावित हुई। ऐसे में केवल महिला की अपुष्ट गवाही के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराना न्यायोचित नहीं होगा। मुकदमे के दौरान आरोपी के वकील रवि द्राल ने अदालत में दलील दी कि यह मामला एक वैवाहिक विवाद को बढ़ाकर गंभीर आपराधिक स्वरूप देने का प्रयास मात्र था। उन्होंने तर्क दिया कि 68 वर्षीय शारीरिक रूप से असमर्थ बुजुर्ग द्वारा 40 वर्ष छोटी महिला के साथ दुष्कर्म करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं लगता।
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वकील ने यह भी बताया कि महिला के बयानों में कई विरोधाभास सामने आए। उदाहरणस्वरूप, शिक्षित होने के बावजूद वह कथित घटना की तारीख याद नहीं कर सकी, जबकि उसी अवधि की अन्य घटनाओं को वह विस्तार से बता पाई। इस विरोधाभास ने उसकी गवाही पर सवाल खड़े किए। जहां तक महिला को ज़हर देने के आरोप की बात है, कोर्ट ने इसे भी वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर खारिज कर दिया। मेडिकल जांच के दौरान पुलिस ने “गैस्ट्रिक लीव्ज” जब्त कर एफएसएल भेजी थी, जिसकी रिपोर्ट में किसी भी प्रकार का ज़हर, एथिल अल्कोहल या कीटनाशक नहीं पाया गया। उपलब्ध सबूतों और कानूनी दलीलों की समग्र समीक्षा के बाद कोर्ट ने तीनों आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

वैवाहिक झगड़ों में परिवार पर मुकदमे का चलन बढ़ा

दिल्ली की पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा, ”इस मामले में जांच बहुत ही लापरवाही और असावधानी से की गई। कॉल डिटेल रिकॉर्ड और मोबाइल नंबरों की लोकेशन अहम हो सकती है। सुनवाई में मामले के जांच अधिकारी ने कहा कि उसने आरोपी के मोबाइल नंबर की सीडीआर के लिए रिक्वेस्ट भेजी थी, लेकिन उसे एकत्र नहीं किया गया। कोर्ट ने आगे कहा कि वैवाहिक झगड़ों के मामलों में पूरे परिवार पर दबाव डालने के लिए ससुरालवालों या पति के परिवार के किसी अन्य पुरुष के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत शिकायत दर्ज करने का चलन बढ़ रहा है।”

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