कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने की ये टिप्पणी
2000 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी के मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर विचार करने से पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुमित दास ने कहा “मेरी राय में यह ऐसा विशेष मामला है। जिसकी जांच सीबीआई जैसी किसी राष्ट्रीय या केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए। जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय संबंध रखने वाले इस बड़े अपराध को अंजाम दिया गया है। इससे यह भयानक आर्थिक अपराध की श्रेणी में शामिल हो सकता है। इसलिए इसकी तह तक जाकर गहन जांच करना जरूरी है।” कोर्ट ने ये भी कहा कि इस पूरे मॉड्यूल का पर्दाफाश होना भी जरूरी है। जिसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो सुरक्षा कोड प्रणाली को तोड़ने की जानकारी रखते हैं या रखते थे। इस दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधशी ने इस धोखाधड़ी के पीछे किसी सिंडिकेट या राज्य समर्थित नेटवर्क की संभावित भूमिका पर भी चिंता जताई। अदालत ने कहा “यह सिर्फ एक आर्थिक अपराध नहीं है, बल्कि यह उद्योग और उद्यमिता को प्रभावित कर सकता है, और चोरी की गई राशि का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों में किया जा सकता है।”
वजीरएक्स पर हुआ था साइबर हमला
दरअसल, जुलाई 2024 में वजीरएक्स पर यह साइबर हमला हुआ था। वजीरएक्स साइट को जनमाई लैब्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी संचालित करती है। जनमाई लैब्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कहना था कि जुलाई 2024 में उसके वॉलेट्स से बड़ी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी चोरी हो गई थी। कंपनी ने दिल्ली पुलिस को बताया था कि वजीरएक्स साइट में अपने ग्राहकों के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा के बीच वॉलेट्स में फंड सुरक्षित रखा जाता है, लेकिन इस साइबर हमले में यह सुरक्षा भी बेअसर साबित हुई। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जनमाई लैब्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शिकायत पर WazirX ने मामले की जांच दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूज़न एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट ने शुरू की। जांच में सामने आया कि वजीरएक्स के वॉलेट्स को हैक कर लिया गया था और कुल 234 मिलियन डॉलर (लगभग ₹2,000 करोड़) का लेनदेन किया गया। जांच के दौरान इस फ्रॉड में पश्चिम बंगाल के मिदनापुर निवासी सौविक मंडल का नाम सामने आया। उनका खाता 11 जुलाई 2024 को वज़ीरएक्स पर रजिस्टर किया गया था और उसमें 91 लाख रुपये से अधिक की क्रिप्टो डिपॉजिट पाई गई थी।
आठ महीने से न्यायिक हिरासत में है आरोपी
इसके बाद एसके मसूद आलम को गिरफ्तार किया गया। पिछले आठ महीने से एसके मसूद आलम न्यायिक हिरासत में हैं। इस दौरान उसने दो बार कोर्ट में अपनी जमानत के लिए आवेदन किया, लेकिन कोर्ट ने उसकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात पर चिंता जताई कि पिछले आठ महीनों से इस मामले में पुलिस की जांच में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। इसलिए बार-बार ज़मानत याचिकाएं दायर की जा रही हैं। इस दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट में मौजूद वकील ने बताया कि इस मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से कई सरकारी और जांच एजेंसियों को नोटिस जारी किए हैं, लेकिन अब तक ठोस परिणाम नहीं मिले हैं।