दरअसल, कांग्रेस के रणनीतिकारों को लग रहा है कि जाति जनगणना के फैसले से जनता के बीच उनके उठाए जाने वाले मुद्दों पर भरोसा बढ़ा है। यही वजह है कि आरक्षण की 50 फीसदी सीमा तोडऩे के लिए संविधान संशोधन और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है। जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस किसी भी सूरत में भाजपा को श्रेय लेने से रोकना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस ने देशव्यापी अभियान के लिए सभी प्रदेश अध्यक्षों को निर्देश दिए हैं।
ऐसे पहुंचेंगे घर-घर
-जिला और विधानसभा स्तर पर संविधान बचाओ रैलियां -बहुजन समुदायों के साथ चौपालें -सामाजिक कार्यकर्ताओं, नागरिक समाज कार्यकर्ता, शिक्षक, वकील, दुकानदार, स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से संपंर्क व बैठकें
नेता-कार्यकर्ता यह देंगे जानकारी
-कांग्रेस की ऐतिहासिक और सतत प्रतिबद्धताएं -राहुल गांधी के जाति जनगणना के मुद्दे निरंतर उठाना -भाजपा की बहुजन विरोधी विचारधारा -भाजपा नेताओं के जाति गणना के प्रति उसके विरोध की जानकारी -निजी शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण के लिए व्यापक जन समर्थन जुटाना
मीडिया-सोशल मीडया में इसकी नियमित ब्रीफिंग
1. कांग्रेस की जाति जनगणना की मांग 2. राहुल का नेतृत्व व कांग्रेस कार्यसमिति का प्रस्ताव 3. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जातिगत जनगणना के मुद्दे पर अर्बन नक्सल और सीएम योगी आदित्यनाथ का बंटोगे-कटोगे कहना 4. 20 जुलाई 2021 को संसद में मोदी सरकार ने जनगणना में एससी-एसटी के अलावा अन्य किसी जाति की गणना नहीं कराने का नीतिगत निर्णय की जानकारी देना
5. सर्वोच्च न्यायालय में 21 सितंबर 2021 को मोदी सरकार ने हलफनामा देकर जनगणना के दायरे से जातियों को बाहर रखने के सचेत नीतिगत निर्णय बताया। 6. जातिगत जनगणना के लिए समय सीमा पूछना?
औपचारिकता से बचने के लिए मॉनीटरिंग
कांग्रेस इस अभियान के लिए गंभीर दिख रही है, जिसकी वजह प्रदेश अध्यक्षों को भेजा गया पत्र है। इसमें साफ कहा गया है कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रदेश स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए। सभी गतिविधियों और रिपोर्टिंग की देखरेख और समन्वय के लिए जिला स्तर पर समर्पित पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाए। वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटियों से साप्ताहिक रिपोर्ट तलब की गई है।