इस दौरान उन्होंने गुजरात की भाजपा सरकार पर भी हमला बोलते हुए कहा “हाल ही में गुजरात की एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें यह खुलासा हुआ कि वहां के 157 सरकारी स्कूलों में 10वीं बोर्ड परीक्षा में एक भी छात्र पास नहीं हुआ। यह वही राज्य है जहां पिछले 30 वर्षों से एक ही पार्टी की सरकार है। अगर राज्य की शिक्षा व्यवस्था की यह स्थिति है, तो उस पार्टी को शर्म से डूब मरना चाहिए।”
शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर रही वर्तमान सरकारें
केजरीवाल ने आगे कहा “बाबा साहेब आंबेडकर ने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता देने की बात कही थी, लेकिन वर्तमान सरकारें शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने में जुटी हुई हैं। 75 साल हो गए हमारे देश को। मैं सोचता था कि शिक्षा व्यवस्था क्यों नहीं ठीक हो रही। मुझे लगता था, इन्हें करना नहीं आ रहा, इनसे हो नहीं रहा। लेकिन जिस तरह से ये दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को खराब करने में लगे हुए हैं, मैं पूरी तरह राजी हूं कि दोनों पार्टियों (कांग्रेस-भाजपा) ने देश को अनपढ़ रखा।” केजरीवाल ने आगे कहा “पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने वकीलों के पैनल में आरक्षण की व्यवस्था की है। पूरे देश में यह इकलौता ऐसा राज्य है। जहां वकीलों के पैनल में दलितों को रियायत दी गई है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के लिए ये सच्ची श्रद्धांजलि है। अगर बाकी पार्टियां भी बाबा साहेब से प्रेम करती हैं तो अपने राज्यों में ऐसा करके दिखाएं। अब बातों से नहीं, बाबा साहेब को अपने काम से श्रद्धांजलि दो।”
केजरीवाल ने आगे कहा “बाबा साहेब ने शिक्षा को समाज की सबसे बड़ी ताकत बताया था, लेकिन आज दिल्ली में जो हो रहा है वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जब दिल्ली में हमारी सरकार थी, तब प्राइवेट स्कूलों को मनमानी फ़ीस बढ़ाने से रोका गया। लेकिन अब BJP सरकार के आते ही निजी स्कूल बेलगाम हो गए हैं। बच्चों और अभिभावकों का शोषण कर रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। गुजरात की तरह अब ये लोग दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को भी बर्बादी की ओर ले जा रहे हैं।”
हाईकोर्ट के जज का सुनाया किस्सा
अरविंद केजरीवाल ने हाईकोर्ट का एक किस्सा सुनाते हुए कहा “अभी मैं सुन रहा था एक जज साहब हमारे देश के एक राज्य से बतौर चीफ जस्टिस रिटायर हुए हैं। तीन चार दिन पहले उनका एक भाषण आया है। इसमें उन्होंने कहा कि जब वो हाईकोर्ट में काम करते थे। वहां एक जज की नियुक्ति हुई तो उसने अपने कमरे, कुर्सी को गंगाजल से साफ किया, क्योंकि उससे पहले उस कुर्सी और कमरे में दलित जज का कब्जा था। हमारे देश की आजादी को 75 साल हो गए, लेकिन अभी तक किसी की सोच नहीं बदली। हमें बदलना पड़ेगा।”