रेखा सरकार का यह फैसला ऐसे समय में लिया जा गया है। जब बढ़ती महंगाई के चलते बुजुर्गों और दिव्यांगों को रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करने में कठिनाई हो रही है। सरकार का उद्देश्य है कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों को जीवन यापन में अधिक सहायता मिल सके। फिलहाल दिल्ली सरकार बुजुर्गों और दिव्यांगों को विभिन्न श्रेणियों के आधार पर 2000 रुपये से 2500 रुपये तक की मासिक पेंशन प्रदान करती है। यदि कैबिनेट में यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो लाखों लाभार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा और उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार संभव होगा। आने वाले दिनों में इसकी अंतिम मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है।
दिल्ली में करीब छह लाख लाभार्थियों को मिल रहा लाभ
समाज कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी में लगभग 4.60 लाख बुजुर्ग और 1.35 लाख दिव्यांग लाभार्थी इस पेंशन योजना के तहत आते हैं। इसमें 60 से 69 साल की उम्र वाले बुजुर्गों को 2000 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाती है। जबकि 70 साल या उससे अधिक उम्र वाले बुजुर्गों को 2500 रुपये प्रति माह बतौर पेंशन दिए जाते हैं। साथ ही गरीबी रेखा से नीचे (BPL) वाले वरिष्ठ नागरिकों को 3000 रुपये प्रति माह की पेंशन प्रदान की जाती है। इसमें उम्र की कोई शर्त नहीं होती। वहीं SC/ST/अल्पसंख्यक समुदाय के 60-69 वर्ष के बुजुर्गों को भी 2500 रुपये मासिक पेंशन मिलती है। दिल्ली सरकार के खजाने पर बढ़ेगा 500 करोड़ का भार
दिल्ली समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मानें तो पेंशन में बुजुर्गों और दिव्यांगों की पेंशन में प्रस्तावित 500 रुपये की बढ़ोतरी के बाद यह राशि 2500 रुपये से बढ़कर 3000 रुपये और 2000 रुपये से बढ़कर 2500 रुपये हो जाएगी। इस बदलाव से सरकारी खजाने पर हर साल करीब 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा। पहले से ही दिल्ली सरकार इस योजना पर लगभग 1400 करोड़ रुपये सालाना खर्च कर रही है।
पेंशन पात्रों की गहन जांच कराएगी दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार, इस पेंशन वृद्धि के साथ लाभार्थियों की पात्रता की भी गहन जांच की जाएगी। समाज कल्याण विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि केवल सही मायनों में जरूरतमंद लोग ही इस योजना का लाभ लें। यह कदम इसलिए जरूरी है ताकि कोई भी अपात्र व्यक्ति सरकारी संसाधनों का अनुचित लाभ न उठा सके। इसके लिए डिजिटल वेरिफिकेशन प्रक्रिया को और अधिक मजबूत करने की तैयारी की जा रही है। आयु, आय, और सामाजिक श्रेणी के दस्तावेजों की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए आधार और बैंक खातों को आधारभूत पहचान के रूप में अनिवार्य किया जाएगा।
सामाजिक संगठनों ने किया स्वागत
दिल्ली सरकार का यह फैसला न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बल्कि आने वाले समय में यह राजनीतिक रूप से भी असर डाल सकता है। आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार पहले से ही मुफ्त बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पहचानी जाती है। अब दिल्ली सरकार का यह नया फैसला रेखा गुप्ता सरकार की ‘वेलफेयर स्टेट’ की छवि को और मजबूत कर सकता है। सामाजिक संगठनों और बुजुर्ग हितैषी संस्थाओं ने इस प्रस्तावित निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि सरकार को पेंशन राशि को और अधिक तर्कसंगत बनाने और समय पर वितरण सुनिश्चित करने की दिशा में भी ध्यान देना चाहिए।