उन्होंने लोकसभा में इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम द्वारा 2018 में जारी निविदा में एमएसएमई के प्रावधानों की अनदेखी और 2023 में नियमविरुद्ध टेंडर विस्तार का मुद्दा उठाया। बेनीवाल ने कहा कि कई ट्रांसपोर्ट कंपनियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर पात्रता हासिल की और तेल कंपनियों के साथ मिलीभगत करके अनुबंध किया। नियमों के उल्लंघन के बावजूद इन कंपनियों को टेंडर दिया गया और 2023 में इसे बिना उचित प्रक्रिया के दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया। उन्होंने जयपुर गैस त्रासदी का उदाहरण देते हुए बताया कि दिसंबर 2024 में जयपुर में जिस गैस टैंकर में ब्लास्ट हुआ, वह भी एमएसएमई मानकों के अनुरूप नहीं था। उन्होंने कहा कि जिस कंपनी ने फर्जी सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी किया था, वह ब्लास्ट के बाद बंद हो गई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से सवाल किया कि आखिर फर्जी सेफ्टी लाइसेंस जारी कर नियमविरुद्ध एलपीजी परिवहन क्यों हो रहा है और सरकार चुप क्यों है? उन्होंने मांग की कि फर्जीवाड़ा करने वाले ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
राजस्थान को रावी-व्यास नदी का हिस्सा देने की मांग
बेनीवाल ने लोकसभा में रावी-व्यास नदी के जल में राजस्थान को उसका हिस्सा दिलवाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने 1981 के जल समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच समझौते के बावजूद पंजाब ने राजस्थान को उसका पूरा जल नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से 2014 में जल समझौता समाप्ति अधिनियम लाया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहराया। उन्होंने केंद्र सरकार से राजस्थान को उसका शेष जल शीघ्र दिलवाने की मांग की। बेनीवाल ने बताया कि घड़साना और अन्य नहरों से सिंचित क्षेत्रों में किसान सिंचाई के पानी की कमी से परेशान हैं। यदि राजस्थान को रावी-व्यास समझौते के अनुसार पूरा पानी मिलता है, तो किसानों की समस्याओं का समाधान हो सकता है।