दिल्ली में सीएम पद के लिए क्यों अहम है जाट चेहरा?
भाजपा सूत्रों के अनुसार
दिल्ली में नए सीएम के लिए भाजपा संगठन ने जो सूची तैयार की है। उसमें जाट नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी गई है, क्योंकि दिल्ली में जाट मतदाता सत्ता की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस चुनाव में भी भाजपा ने जाट बहुल 13 सीटों में से 11 सीटों पर जीत दर्ज की है। एक आंकड़े के अनुसार, दिल्ली में लगभग 10 प्रतिशत जाट मतदाताओं की आबादी है।
इसके अलावा दिल्ली चुनाव से पहले 22 दिसंबर 2024 को दिल्ली के मंगोलपुरी में जाट और गुर्जरों की महापंचायत हुई थी। इस महापंचायत के बाद जाट और गुर्जर नेताओं ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की। इस दौरान 360 गांव और 36 बिरादरी के लोगों ने दिल्ली चुनाव 2025 में BJP को अपना समर्थन देने का ऐलान किया। साथ ही दिल्ली के मूलनिवासी को अगला सीएम बनाने की मांग भी उठाई थी। जाटों और गुर्जरों ने तो अपना वादा निभा दिया। अब भाजपा की बारी है।
दिल्ली चुनाव में जाटों ने खुलकर दिया भाजपा का साथ
दिल्ली में कुल 13 सीटों पर जाट मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। इनमें से मुंडका में भाजपा के गजेंद्र दराल, नरेला में भाजपा के राजकरन खत्री, बवाना में नरेंद्र कुमार, नांगलोई जाट में मनोज शौकीन, नजफगढ़ में नीलम पहलवान, बिजवासन में कैलाश गहलोत, रिठाला में कुलवंत राणा, उत्तमनगर में पवन शर्मा, विकास पुरी में पंकज कुमार सिंह, महरौली में गजेंद्र यादव और छतरपुर में भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह तंवर ने चुनाव में जीत दर्ज की है। जबकि किराड़ी में
आम आदमी पार्टी के अनिल झा, मटियाला में सुमेश शौकीन ने चुनाव जीता है। दरअसल, दिल्ली की सीमा उत्तर प्रदेश और हरियाणा से सटी है। इन दोनों ही प्रदेशों में जाटों की ठीक-ठाक आबादी मानी जाती है। वैसे तो दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है, लेकिन लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। इसलिए भाजपा ऐसा मुख्यमंत्री चाहती है जो भविष्य में यूपी के लिए फायदेमंद साबित हो।
भाजपा के सामने इनमें से किसी एक को चुनने की चुनौती
दिल्ली में पिछले दो चुनावों की बात करें तो भाजपा एक भी जाट बहुल सीट नहीं जीत पाई, जबकि इस बार जाटों और गुर्जरों ने भाजपा का दिल खोलकर साथ दिया। इसी के चलते 13 जाट बहुल सीटों में से भाजपा ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की। अब जाट नेता भाजपा की ओर टकटकी लगाकर रिटर्न गिफ्ट की आस लगाए बैठे हैं। नई दिल्ली से आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराने वाले भाजपा नेता प्रवेश वर्मा भी जाट समुदाय से आते हैं। इसके साथ ही वह पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे भी हैं। सांसद भी रह चुके हैं। ऐसे में जाट नेता के रूप में दिल्ली में सीएम पद के लिए प्रवेश वर्मा की ज्यादा मजबूत दावेदारी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो जाट चेहरे के तौर पर बिजवासन से भाजपा विधायक कैलाश गहलोत का भी नाम भाजपा संगठन की सूची में है। कैलाश गहलोत पहले आम आदमी पार्टी में थे। वह गृह और परिवहन जैसे विभाग भी संभाल चुके हैं।
पूर्वांचल भी भाजपा के लिए अहम फैक्टर
बात अगर पूर्वांचल की करें तो बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं। इसके साथ ही दिल्ली की तीन विधानसभा सीटें ऐसी हैं। जहां पूर्वांचल के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इन तीनों सीटों पर भाजपा को इस बार शानदार जीत मिली है। दिल्ली की राजनीति में पूर्वांचल के मतदाताओं की अहमियत देखते हुए उन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में पूर्वांचल चेहरे के तौर पर भाजपा के पास लक्ष्मी नगर से विधायक अभय वर्मा, संगम विहार से चुनाव जीते चंदन चौधरी और विकास पुरी से भाजपा विधायक पंकज कुमार सिंह के नाम भी सूची में शामिल हैं। इसमें से अभय वर्मा बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं। पिछले चुनाव में भी अभय वर्मा ने लक्ष्मीनगर से जीत दर्ज की थी। ऐसे में अभय वर्मा की दावेदारी ज्यादा मजबूत मानी जा रही है।