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नई दिल्ली

रेखा गुप्ता ने कास्ट, क्लास और क्रेडिबिलिटी फ़ैक्टर से बड़े दावेदारों को छोड़ा पीछे

-दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के पीछे की कहानी
– खामोशी के साथ संगठन में कार्य करने का मिला

नई दिल्लीFeb 20, 2025 / 02:31 pm

Navneet Mishra

नवनीत मिश्र
नई दिल्ली।
भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में मुख्यमंत्री पद पर महिला कार्ड चलते हुए रेखा गुप्ता को कमान सौंपी है। पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर बुधवार की सायं 7.30 बजे से आधे घंटे चली विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर सर्वसम्मति से मुहर लगी। रोचक बात रही कि पार्टी ने दो सबसे प्रबल दावेदारों में से एक प्रवेश वर्मा से जहां उनके नाम का प्रस्ताव कराया तो दूसरे विजेंद्र गुप्ता से अनुमोदन का दांव चला। सूत्रों के मुताबिक प्रवेश वर्मा डिप्टी सीएम और विजेंद्र गुप्ता स्पीकर होंगे। आज ऐतिहासिक रामलीला मैदान में रेखा गुप्ता शपथ लेंगी।

कॉस्ट, क्लास और क्रेडिबिलिटी तीनों में बैठी फिट

रेखा गुप्ता कास्ट से वैश्य और क्लास (वर्ग) से महिला और संघ के आनुषंगिक संगठन एबीवीपी से होने के कारण क्रेडिबिलिटी (विश्वसनीयता) तीनों पैमाने पर फिट बैठी। विचार परिवार से होने के कारण संघ ने भी रेखा के नाम पर मुहर लगाई। उनके मुकाबले कोई अन्य दावेदार एक साथ सबसे ज्यादा मोर्चों पर संदेश देता नजर नहीं आया। वैश्य बीजेपी का वफादार कोर वोटर रहा है, इस दांव के जरिए पार्टी ने इस वर्ग में पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है।

मोदी ने महिला नेतृत्व के एजेंडे को दी धार

इस फैसले में पीएम मोदी की छाप दिख रही। 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योजनाओं के जरिए महिलाओं का एक अलग वोटबैंक खड़ा करने में सफल रहे हैं। अब दूसरे मिशन में वे महिलाओं को नेतृत्व प्रदान करने के बड़े मिशन में जुटे हैं। इसी कड़ी में पहले जहां एतिहासिक महिला बिल पास कराकर महिला नेतृत्व को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया, वहीं अब दिल्ली की कमान भी महिला को सौंपकर देश की “आधी आबादी” को बड़ा संदेश दिया है।

कौन हैं रेखा गुप्ता

मूल रूप से हरियाणा के जिंद की रहने वालीं रेखा गुप्ता ने शालीमार बाग सीट से 29,595 वोटों के भारी अंतर से जीती हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई के दौरान एबीवीपी से जुड़ीं और 1995-96 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव और फिर 1996-97 में वह अध्यक्ष बनीं।
इसके बाद 2004-06 तक युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव रहीं। 2007 में वह पीतमपुरा वॉर्ड से पार्षद चुनी गईं। 2010 में उन्हें भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया। 2015 और 2020 का चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ने 2025 में भरोसा जताते हुए टिकट दिया। पहली बार विधायक बनते ही किस्मत ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया।

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