पहले समझिए सरकारी की नीति क्या थी?
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने अप्रैल 2025 में निर्देश जारी किए थे कि राजधानी में वायु प्रदूषण घटाने के लिए पुराने वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा। इस आदेश को लागू करने के लिए दिल्ली के करीब 498 पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए थे, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिबंधित वाहन ईंधन न ले सकें। लेकिन इस कदम से दिल्ली में एक बड़ा वर्ग प्रभावित होता। अनुमान है कि करीब 62 लाख वाहन, जिनमें 41 लाख दोपहिया वाहन शामिल हैं, इस नीति के दायरे में आते।
जनता और व्यापारिक संगठनों का विरोध
दिल्ली सरकार की इस नीति का शुरू में लोगों ने कड़ा विरोध जताया। सोशल मीडिया से लेकर विभिन्न मंचों पर सरकार के निर्णय की आलोचना शुरू हो गई। इसमें तर्क दिया गया कि इस फैसले से सबसे ज्यादा मध्यम और निम्न वर्ग के लोग प्रभावित होंगे, क्योंकि उनके लिए पुराने वाहन आजीविका और दिनचर्या का हिस्सा हैं। इसके बाद आम आदमी पार्टी समेत दिल्ली की आम जनता ने इस आदेश को “तुगलकी फरमान” बताया। सड़कों पर भी प्रदर्शन हुए। पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन ने भी इसका विरोध करते हुए कहा कि ईंधन आवश्यक वस्तु है और इसकी आपूर्ति न देना आवश्यक वस्तु अधिनियम का उल्लंघन हो सकता है। लोगों का भारी विरोध देखते हुए दिल्ली सरकार ने भी नीति पर सवाल खड़े किए। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि ANPR सिस्टम पूरी तरह काम नहीं कर रहा और NCR क्षेत्र में एकरूपता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पंप कर्मचारियों को प्रवर्तन अधिकारियों की भूमिका में डालना कानून-व्यवस्था के लिए संकट पैदा कर सकता है।
राजनीतिक रस्साकशी भी आई सामने
नीति को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) आमने-सामने दिखीं। AAP ने इस आदेश को “बीजेपी का तुगलकी फरमान” बताया और आरोप लगाया कि इससे आम आदमी को नुकसान होगा। जबकि वाहन कंपनियों को फायदा पहुंचेगा। पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि यह नीति दोपहिया वाहन चालकों, बुजुर्गों और मध्यम वर्ग पर सीधा वार है। इसके बाद दिल्ली में अपनी उम्र पूरी कर चुके पुराने वाहनों को 31 मार्च के बाद ईंधन नहीं देने की घोषणा करने वाली भाजपा सरकार अब बैकफुट पर दिख रही है। इसी के तहत दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 3 जुलाई को खुद पहल करते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से आदेश स्थगित करने की अपील की है।
सीएम रेखा गुप्ता ने क्या कहा?
इस मामले को लेकर दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने अपने सोशल मीडिया ‘X’ अकाउंट पर पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा का पत्र शेयर किया है। इसमें उन्होंने कहा “दिल्ली के नागरिकों को हो रही कठिनाइयों को देखते हुए हमारी सरकार ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि एन्ड-ऑफ-लाइफ (EOL) वाहनों को ईंधन न देने के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए।” रेखा गुप्ता ने आगे लिखा “यह निर्णय लाखों परिवारों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी और आजीविका को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहा है। हमारी सरकार वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और स्वच्छ, टिकाऊ परिवहन के लिए दीर्घकालिक समाधान पर कार्य कर रही है। लेकिन किसी भी निर्णय को लागू करते समय नागरिकों की सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं के साथ संतुलन बनाए रखना उतना ही आवश्यक है।”
जनकल्याण और सार्वजनिक सुविधा का के लिए उठाया कदम
उन्होंने कहा “पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा भेजे गए इस पत्र के माध्यम से हमने आग्रह किया है कि जनहित को सर्वोपरि रखते हुए इस आदेश को तत्काल स्थगित किया जाए और सभी हितधारकों से विचार-विमर्श कर एक व्यावहारिक, न्यायसंगत और चरणबद्ध समाधान तैयार किया जाए। दिल्ली सरकार जनकल्याण और सार्वजनिक सुविधा के अपने संकल्प के साथ सदैव दिल्लीवासियों के साथ खड़ी है।”
साल 2018 में AAP सरकार ने भी हट गई थी पीछे
दिल्ली में यह कोई पहली बार नहीं है जब पुराने वाहनों पर प्रतिबंध को लेकर नीति बनी और फिर टाल दी गई। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया था, लेकिन तब भी AAP सरकार ने भारी विरोध के चलते उसे ढंग से लागू नहीं किया। अब बीजेपी सरकार भी वैसा ही करती नजर आ रही है। अब जब नीति स्थगित हो चुकी है, सवाल उठता है कि क्या सरकार कोई वैकल्पिक समाधान लाएगी या यह मामला फिर लंबित रहेगा। फिलहाल जनता को राहत जरूर मिली है, लेकिन दिल्ली की जहरीली हवा पर नियंत्रण की कोशिशों को एक और झटका लगा है।