कल भावनात्मक जरूरतों को भी समझेगा एमआइटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘ई-बार’ भले बुजुर्गों की वैसी भावनात्मक देखभाल नहीं कर सके, जैसी उनके बच्चे करते हैं, लेकिन अकेलेपन में यह उनके लिए कई कामों में मददगार साबित हो सकता है। बुजुर्गों को सिर्फ सहारा नहीं, सुनने वाला भी चाहिए। वैज्ञानिक इस दिशा में भी काम कर रहे हैं कि रोबोट बुजुर्गों की भावनात्मक जरूरतों को भी समझ सके।
सामाजिक नवाचार की तरफ… भारत में भी यह रोबोट सामाजिक नवाचार साबित हो सकता है। भारत में 60 साल से ज्यादा उम्र की आबादी लगातार बढ़ रही है। यह आंकड़ा 2021 में 13.8 करोड़ था। इसके 2030 तक 19 करोड़ पार पहुंचने का अनुमान है। भारतीय शहरों और गांवों में कई बुजुर्ग अकेले रहते है, क्योंकि पढ़ाई या नौकरी के सिलसिले में उनके बच्चे दूसरे शहर या देश में बस गए हैं।