दिल्ली में प्रारंभिक लागत के लिए दिया जाएगा लोन
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कैबिनेट बैठक के बाद बताया कि दिल्ली सरकार स्वच्छ ऊर्जा और बेहतर पर्यावरण के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण के लिए भी प्रतिबद्ध है। सीएम रेखा गुप्ता ने कहा “पीएम सूर्य घर योजना न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा करेगी। बल्कि आम नागरिकों की जेब पर पड़ने वाला भारी-भरकम बिजली बिल का बोझ भी कम करेगी। कैबिनेट बैठक में ये फैसला किया गया है कि 3 किलोवाट की क्षमता वाले सोलर पैनल सिस्टम पर अब 30,000 रुपये अतिरिक्त सब्सिडी दिल्ली सरकार की ओर से दी जाएगी।”
एक किलोवाट की यूनिट पर 10 हजार की सब्सिडी
सीएम रेखा गुप्ता ने जोर देकर कहा “इस योजना में केंद्र सरकार की ओर से पहले ही 78000 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। ऐसे में दिल्ली में अब इस योजना के लिए कुल सब्सिडी राशि 1.08 लाख रुपये हो गई है। इससे उपभोक्ताओं को प्रारंभिक लागत पर सौर ऊर्जा प्राप्त करने में मदद मिलेगी। साथ ही बिजली के मासिक बिल पर 4200 रुपये की औसतन बचत हर महीने होगी। इसके साथ ही इस योजना में प्रारंभिक लागत के लिए दिल्ली सरकार 90 हजार रुपये का आसान लोन मुहैया कराने पर विचार कर रही है।” कैबिनेट फैसले के अनुसार, दिल्ली में एक किलोवाट की यूनिट पर 10,000 रुपये तक सब्सिडी बढ़ाई गई है। दिल्ली सरकार ने इसे ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ नाम दिया है। इसके साथ ही इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रारंभिक रूप से 50 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। दिल्ली सरकार ने इस योजना के तहत पहले चरण में करीब 2.3 लाख घरों की छतों पर सौर ऊर्जा सिस्टम स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके साथ ही सोलर पैनल लगवाने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए आसान ऋण की सुविधा भी मुहैया कराने का फैसला लिया गया है।
दिल्ली में क्या है सोलर पैनल लगवाने की आसान प्रक्रिया?
‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ के तहत दिल्ली में सोलर पैनल लगवाने के लिए रेखा सरकार ने 10 चरणों की आसान प्रक्रिया तय की है। इसके तहत सबसे पहले लाभार्थी को दिल्ली सरकार के eerem.delhi.gov.in पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन यानी पंजीकरण करना होगा। इसके बाद DISCOM यानि बिजली सप्लाई कंपनी जैसे BSES या TPDDL का चयन करना है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद सोलर पैनल के अधिकृत विक्रेता का चयन करना होगा। दिल्ली सरकार ने अपने पोर्टल पर सभी अधिकृत विक्रेताओं की सूची अपलोड की है। इतनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद लाभार्थी द्वारा सेलेक्ट किया गया अधिकृत विक्रेता लाभार्थी के घर आकर छत का निरीक्षण करेगा। इसमें वह यह तय करेगा कि लाभार्थी की छत पर कितनी क्षमता का सोलन पैनल लगाना उचित होगा। यह तय होने के बाद सोलर पैनल विक्रेता और लाभार्थी के बीच एक समझौता होगा। इसमें सोलर पैनल की देखरेख के साथ नियम और शर्तें लिखी होंगी। लाभार्थी को इसपर अपने हस्ताक्षर करने होंगे। इसके बाद विक्रेता लाभार्थी की छत पर MNRE यानी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और BIS यानी भारतीय मानक ब्यूरो के अनुरूप सोलर पैनल लगाएगा।
नेट मीटरिंग के बाद ग्रिड को भेजी जा सकेगी बिजली
इतनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उपभोक्ता को नेट मीटरिंग के लिए आवेदन करना होगा। यह आवेदन DISCOM में किया जाएगा। ताकि उपभोक्ता की छत पर सोलर पैनल से बनने वाली अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेजी जा सके। इसके आवेदन के बाद DISCOM सौर संयंत्र की टीम उपभोक्ता के घर का तकनीकी परीक्षण करेगी। मानकों के हिसाब से परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा होने पर सौर ऊर्जा संयंत्र चालू कर दिया जाएगा। सौर संयंत्र चालू होते ही केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी की राशि सीधे उपभोक्ता के खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। दिल्ली सरकार की यह पहल स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ-साथ आम नागरिकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक प्रभावशाली कदम माना जा रहा है। इससे न केवल पर्यावरण में सुधार होगा, बल्कि लाखों परिवारों को बिजली बिल में राहत भी मिलेगी। दिल्ली सरकार की ओर से यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि योजना का लाभ उठाने के लिए सिर्फ अधिकृत विक्रेता से ही सोलर पैनल की स्थापना कराएं। इसके साथ ही ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना अनिवार्य है। दिल्ली में सोलर पैनल 1 किलोवाट से 10 किलोवाट तक की क्षमता में लगाए जा सकते हैं।