सियासी उठापटक के बीच AAP में बड़ा बदलाव, केजरीवाल ने नेताओं को बांटी जिम्मेदारियां
AAP State Prabhari List: दिल्ली में सियासी उठापटक के बीच अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी में बड़ा बदलाव किया है। इसके तहत UP से केरल तक नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। केजरीवाल का यह कदम साल 2027 और 2029 के चुनावों की तैयारी माना जा रहा है।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने नौ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में प्रभारियों की नियुक्ति की। (फोटो/@ArvindKejriwal)
AAP State Prabhari List: दिल्ली में पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के 15 पार्षदों ने एक साथ इस्तीफा देकर सियासी पारा बढ़ा दिया था। इसके बाद एक्टिव हुए अरविंद केजरीवाल ने पहले छात्र सभा का गठन किया। इसके बाद उन्होंने पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव करते हुए यूपी से केरल तक नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक का यह कदम साल 2027 और 2029 में होने वाले चुनावों की तैयारी माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पहले छात्र सभा का गठन और अब नौ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के लिए अरविंद केजरीवाल ने प्रभारी नियुक्त किए हैं। इसे देखकर कहा जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल आने वाले चुनावों से पहले पार्टी का बड़े स्तर पर विस्तार करने की योजना तैयार कर रहे हैं।
दरअसल, 21 मई 2025 को आम आदमी पार्टी (AAP) ने संगठनात्मक ढांचे में बड़े फेरबदल की घोषणा करते हुए विभिन्न राज्यों में प्रभारियों और सह-प्रभारियों की नई सूची जारी की है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव डॉ. संदीप पाठक द्वारा हस्ताक्षरित इस सूची में कई नए चेहरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि कुछ पुराने नेताओं को नई भूमिका में नियुक्त किया गया है। इस सूची का उद्देश्य 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों के लिए संगठनात्मक ढांचे को सशक्त बनाना है।
दिलीप पांडे को मिली दोहरी जिम्मेदारी
इस सूची में सबसे उल्लेखनीय नाम दिलीप पांडे का है।, जिन्हें पार्टी का ओवरसीज कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, उन्हें उत्तर प्रदेश के लिए सह-प्रभारी की भूमिका भी सौंपी गई है। यह दोहरी जिम्मेदारी यह दर्शाती है कि पार्टी दिलीप पांडे के अनुभव और संगठनात्मक क्षमताओं पर गहरी आस्था रखती है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में केजरीवाल ने जितेंद्र सिंह तोमर को प्रभारी नियुक्त किया है। जितेंद्र सिंह तोमर आम आदमी पार्टी की सरकार में कानून मंत्री रह चुके हैं और संगठनात्मक अनुभव रखते हैं।
गुरुवार को आम आदमी पार्टी ने सूची जारी कर विभिन्न राज्यों में नेताओं को प्रभारी नियुक्त किया है। इनमें राजेश गुप्ता को कर्नाटक का प्रभारी बनाया गया है। राजेश गुप्ता दिल्ली से विधायक हैं और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी नीतियों की सराहना होती रही है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के युवा नेता ऋतुराज गोविंद को हिमाचल प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि महेंद्र यादव को उत्तराखंड का प्रभारी बनाया गया है। महेंद्र यादव सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका के लिए जाने जाते हैं।
राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना की इन्हें सौंपी कमान
अरविंद केजरीवाल ने धीरेश टोकस को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया है। जबकि महाराष्ट्र में प्रकाश जारवाल को प्रभारी बनाया गया है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता और तेज तर्रार महिला नेता प्रियंका कक्कड़ को तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया है। जबकि दिल्ली की मेयर रह चुकी शैली ओबेरॉय को केरल का प्रभारी बनाया गया है। साथ तमिलनाडु की कमान पंकज सिंह को सौंपी गई है और प्रभाकर गौर को लद्दाख का प्रभारी नियुक्त किया गया है।
उत्तर प्रदेश को दी गई विशेष प्राथमिकता
AAP ने उत्तर प्रदेश को विशेष प्राथमिकता दी है। जहां साल 2027 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इस राज्य में चार वरिष्ठ नेताओं दिलीप पांडे, विशेष रवि, अनिल झा और चंद्रेंद्र कुमार को सह-प्रभारी बनाया गया है। इससे स्पष्ट है कि पार्टी राज्य में संगठनात्मक विस्तार और मजबूत चुनावी रणनीति पर गंभीरता से काम कर रही है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि केजरीवाल ने न केवल प्रभारियों बल्कि सह-प्रभारियों की नियुक्ति में भी विविधता और अनुभव को प्राथमिकता दी गई है। इसके तहत उत्तराखंड में घनेन्द्र भद्राज को सह-प्रभारी नियुक्त किया गया है। जबकि हिमाचल प्रदेश में विजय फुलारा को यह जिम्मेदारी दी गई है।
इस नई सूची से साफ है कि AAP 2027 के विधानसभा और 2029 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। नए चेहरों को अवसर देना, युवाओं को नेतृत्व में लाना और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना पार्टी की रणनीति का हिस्सा है। राजनीति के जानकारों की मानें तो आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय राजनीति में खुद को एक सशक्त विकल्प के रूप में स्थापित करने के लिए कमर कस चुकी है। आने वाले दिनों में इन प्रभारियों की भूमिका और सक्रियता से यह तय होगा कि पार्टी इन नए बदलावों के ज़रिए कितनी प्रभावी रणनीति बना पाती है।
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