तत्काल प्रभाव से सेवा से बाहर नहीं होंगी नर्सें
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी इस ईमेल में उल्लेख किया गया है कि ‘कॉन्ट्रैक्ट नर्सिंग ऑफिसर्स के सेवा विस्तार का मुद्दा अभी दिल्ली सरकार के पास विचाराधीन है।’ इस लाइन का अर्थ ये है कि इन नर्सों की सेवा अवधि बढ़ाने या हटाने संबंधी औपचारिक प्रक्रिया अभी भी रेखा सरकार के पास विचाराधीन है, लेकिन तत्काल प्रभाव से कोई नर्स सेवा से बाहर न हो। यह सुनिश्चित किया जा रहा है। इससे पहले जून की शुरुआत में सैकड़ों संविदा नर्सों को नोटिस भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि उनका अनुबंध 30 जून को समाप्त हो रहा है। इसके साथ ही जब तक उनका कॉन्ट्रैक्ट नवीनीकरण नहीं होता, तब तक वे 1 जुलाई से ड्यूटी पर रिपोर्ट न करें। हालांकि कुछ अस्पतालों ने यह नोटिस कुछ घंटों में ही वापस ले लिया, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया ने नर्सों के मन में भय और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी।
दिल्ली नर्सेज फेडरेशन ने क्या कहा
इस मामले में दिल्ली नर्सेज फेडरेशन (DNF) का कहना है कि मार्च 2025 में संविदा पर कार्यरत नर्सों को केवल तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था। जबकि परंपरागत रूप से उन्हें एक साल तक सेवा विस्तार मिलता रहा है। दिल्ली सरकार के तीन महीने सेवा विस्तार वाली यह मियाद भी 30 जून को समाप्त हो गई। फिर भी नर्सों के लिए दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग का आदेश थोड़ी राहत भरा है। डीएनएफ के संस्थापक अध्यक्ष लीलाधर रामचंदानी ने सरकार के नवीनतम निर्णय को आंशिक राहत बताते हुए कहा, “हमारे लिए यह राहत की बात है कि स्वास्थ्य विभाग ने सेवा में बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। लेकिन जब तक औपचारिक आदेश जारी नहीं होता, तब तक अनिश्चितता बनी रहेगी। कई नर्सें वर्षों, यहां तक कि दशकों से सेवा दे रही हैं, ऐसे में बार-बार अनुबंध का संकट उनके मनोबल को प्रभावित करता है।”
नौकरी की सुरक्षा को लेकर ठोस रणनीति की जरूरत
दिल्ली नर्सेज फेडरेशन (DNF) के संस्थापक अध्यक्ष लीलाधर रामचंदानी ने यह भी कहा कि नर्सिंग स्टाफ के लिए नौकरी की सुरक्षा अब एक स्थायी मुद्दा बन गया है। उन्होंने रेखा सरकार से अपील की है कि संविदा नर्सों की सेवाओं को स्थायी करने की दिशा में ठोस नीति बनाई जाए और बार-बार की अनिश्चितता को समाप्त किया जाए।
दिल्ली नर्सेज फेडरेशन (DNF) का कहना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव संसाधन से जुड़े फैसलों में पारदर्शिता और स्थायित्व लाने की जरूरत है। संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल दिल्ली सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए ये कदम अति आवश्यक है।