इसी साल 29 जनवरी को लांच किए गए शृंखला के एक उपग्रह एनवीएस-02 के विफल होने से सेवाओं पर असर पड़ रहा है। इसरो ने अक्टूबर तक एनवीएस-03 लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही देश की सामरिक और रणनीतिक जरूरतों को देखते हुए हर चार महीने में नाविक शृंखला का एक उपग्रह लॉन्च करने की योजना है, ताकि स्वदेशी जीपीएस पूरी क्षमता पर ऑपरेशनल हो सके। भारतीय उपमहाद्वीप के 1500 किमी के दायरे में नाविक प्रणाली अमरीका की जीपीएस से भी अधिक परिशुद्धता के साथ स्थिति की जानकारी प्रदान करती है। स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन, आपदा प्रबंधन, वाहनों की ट्रैकिंग, बेड़े का प्रबंधन, उपग्रहों का कक्षा निर्धारण समेत कई सेवाएं नाविक प्रणाली से मिल रही है। कुछ मोबाइल सेट पर भी नाविक सेवाएं उपलब्ध होने लगी हैं। इसे हर हाथ तक पहुंचाने के प्रयास हो रहे हैं। यह प्रणाली देश की सेनाओं और मछुआरों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है।
खराब हुए उपग्रह नाविक प्रणाली को सक्रिय करने के लिए इसरो ने 7 उपग्रहों को पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में जुलाई 2013 से अप्रेल 2016 के बीच स्थापित किया। इ में लगाई गईं यूरोपीय परमाणु घडिय़ां खराब होने लगीं और एक के बाद एक उपग्रह निष्प्रभावी होने लगे। हर उपग्रह को 10 से 12 साल के मिशन पर भेजा गया, लेकिन तीन-चार साल में ही इन्हें बदलने की नौबत आ गई।
ये फिलहाल सक्रिय इसरो ने अगस्त 2017 में खराब पड़े आइआरएनएसएस-1 ए की जगह आइआरएनएसएस-1 एच भेजा। उपग्रह हीटशील्ड में फंस गया और मिशन विफल हो गया। फिर उसकी जगह आइआरएनएसएस-1 एल लॉन्च किया गया। इस शृंखला के जो उपग्रह सक्रिय हैं उनमें आइआरएनएसएस-1 बी, आइआरएनएसएस-1 एफ, आइआरएनएसएस-1 एल और एनवीएस-01 हैं।