ब्राजील यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध की रिपोर्ट अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में छपी है। इसमें बताया गया कि जहां अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का चलन कम है, वहां असामयिक मौतों का आंकड़ा चार फीसदी था, लेकिन अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स की ज्यादा खपत वाले ब्रिटेन और अमरीका जैसे देशों में यह आंकड़ा 14 फीसदी है। ब्रिटेन में एक वयस्क व्यक्ति ऊर्जा की 53 फीसदी जरूरत अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से पूरी करता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सरकारों को अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स के कम इस्तेमाल के लिए आहार संबंधी सिफारिशें जारी करनी चाहिए। शोध के मुताबिक ब्रिटेन में 2018-19 के दौरान 17,781 असामयिक मौतों को अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स से जोड़ा जा सकता है।
बार-बार भूख से पाचन पर प्रतिकूल असर शोध के मुताबिक अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन का मतलब है कि लोग फल और सब्जियां जैसी एंटी ऑक्सीडेंट्स चीजें नहीं ले रहे हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड प्री-डाइजेस्टेड होते हैं। यानी ये तुरंत खाने लायक बनाए जाते हैं। इन्हें खाने के बाद जल्द दोबारा भूख लगती है। लोग इन्हें बार-बार खाते है। इससे पाचन क्रिया पर प्रतिकूल असर पडऩे के साथ मोटापा बढऩे का खतरा रहता है।
धूम्रपान की लत के पीछे भी… शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग ज्यादा प्रोसेस्ड फूड्स खाते हैं, वे धूम्रपान की लत के चंगुल में भी फंस जाते हैं। कोई भोजन अल्ट्रा प्रोसेस्ड है या नहीं, यह इससे तय होता है कि वह पैकेजिंग तक कितनी औद्योगिक प्रक्रियाओं से गुजरा है। ऐसे फूड्स वसा, चीनी और नमक से भरे होते हैं। अमूमन इनमें कई ऐसी चीजें होती हैं, जिनके नाम का लोग उच्चारण तक नहीं कर पाते।