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नई दिल्ली

सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं ऑपरेशन सिंदूर में शामिल रहीं विंग कमांडर निकिता पांडे

Wing Commander Nikita Pandey: विंग कमांडर निकिता पांडे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि निकिता लड़ाकू की विशेषज्ञ नियंत्रक हैं। जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और उससे पहले ऑपरेशन बालाकोट के दौरान प्रबंधित एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली में एक विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया था।

नई दिल्लीMay 23, 2025 / 10:55 am

Vishnu Bajpai

Wing Commander Nikita Pandey: सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं ऑपरेशन सिंदूर में शामिल रहीं विंग कमांडर निकिता पांडे

Wing Commander Nikita Pandey: सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं ऑपरेशन सिंदूर में शामिल रहीं विंग कमांडर निकिता पांडे

Wing Commander Nikita Pandey: ऑपरेशन सिंदूर में शामिल रही वायु सेना की विंग कमांडर निकिता पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनके मामले पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायुसेना को निर्देश दिया कि वह महिला विंग कमांडर निकिता पांडे को अगली सुनवाई तक सेवा से न हटाए। इसके सा‌थ ही केंद्र सरकार की ओर अदालत में पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से मामले में जवाब तलब भी किया है।
दरअसल, भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर निकिता पांडेय ने अपनी सेवा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट में शामिल रहीं विंग कमांडर की सेवा के 14 साल पूरे होने और स्‍थायी कमीशन नहीं मिलने पर उन्हें पद से मुक्त किया जाना है। इसी को लेकर विंग कमांडर निकिता पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। इसपर सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की पीठ ने सुनवाई की। इस पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एनके मेनन सिंह शामिल थे। गुरुवार को मामले की सुनवाई करते पीठ ने विंग कमांडर निकिता पांडेय की सेवा फिलहाल चालू रखने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एनके मेनन सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया। पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से अदालत में पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि विंग कमांडर निकिता पांडे को अब तक स्थायी कमीशन क्यों नहीं दिया गया? इसपर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यह निर्णय बोर्ड के मूल्यांकन के आधार पर लिया जाता है। हालांकि निकिता के मामले पर विचार करने के लिए एक दूसरा समीक्षा बोर्ड तैयार किया जा रहा है।
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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि निकिता ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और यह प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थी। उन्होंने कहा, “ये सभी महिला अधिकारी बेहद प्रतिभाशाली हैं, लेकिन वायुसेना में कमीशन की एक तय प्रक्रिया है। इसी प्रक्रिया के तहत कुछ अधिकारियों को 14 साल की सेवा के बाद हटाना पड़ता है। यह सुरक्षा बल की जरूरत होती है।”
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारतीय वायुसेना की तारीफ करते हुए कहा, “हमारी वायुसेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है। इन अधिकारियों ने जिस तरह का समन्वय और कौशल दिखाया है, वह सराहनीय है। हम इन पर गर्व करते हैं क्योंकि इन्हीं की वजह से हम रात को चैन से सो पाते हैं।”

निकिता पांडे के अधिवक्ता ने रखे ये तर्क

निकिता पांडे के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने अदालत को बताया कि पांडे एक विशेषज्ञ फाइटर कंट्रोलर हैं। उन्होंने ऑपरेशन बालाकोट और हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्होंने भारतीय वायुसेना की एकीकृत कमांड और कंट्रोल सिस्टम में अपनी विशेषज्ञता से अहम योगदान दिया था। गुरुस्वामी ने कहा कि 2019 की नीति के चलते उन्हें जबरन सेवा समाप्त करनी पड़ी। जबकि उनका अनुभव और योगदान यह दर्शाता है कि वे स्थायी कमीशन की हकदार हैं।

कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति कांत ने टिप्पणी की कि इस मुद्दे का स्थायी समाधान यह हो सकता है कि केवल उन्हीं अधिकारियों की एसएससी भर्ती हो, जिन्हें भविष्य में स्थायी कमीशन देने की क्षमता हो। उन्होंने कहा, “यदि आप 100 अधिकारियों को एसएससी में लेते हैं और उनमें से एक को भी स्थायी कमीशन देना है, तो आपके पास यह करने की पूरी योजना होनी चाहिए।”
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उन्होंने यह भी जोड़ा कि अयोग्यता का निर्धारण केवल योग्यता के आधार पर न हो। बल्कि पारदर्शिता और ठोस कारणों से किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि रक्षा बलों में स्थायित्व और भविष्य की स्पष्टता जरूरी है। वरना अधिकारियों के मन में असुरक्षा की भावना पनप सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 6 अगस्त तय की है। तब तक विंग कमांडर निकिता को सेवा में बनाए रखने का आदेश दिया गया है।

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