मंत्री के दौरे को रखा गुप्त, हनुमानगढ़ में बनाई रणनीति, श्रीगंगानगर में छापेमारी
हनुमानगढ़. नकली खाद व बीज बनाने के कई मामले सामने आने के बाद प्रदेश के कृषि मंत्री डॉ. किरोरीलाल मीणा अब सक्रिय नजर आ रहे हैं।


मंत्री के दौरे को रखा गुप्त, हनुमानगढ़ में बनाई रणनीति, श्रीगंगानगर में छापेमारी
-नकली खाद व बीज बनाने के मामले उजागर होने पर सरकारी तंत्र सक्रिय
हनुमानगढ़. नकली खाद व बीज बनाने के कई मामले सामने आने के बाद प्रदेश के कृषि मंत्री डॉ. किरोरीलाल मीणा अब सक्रिय नजर आ रहे हैं। श्रीगंगानगर में मंगलवार को कार्रवाई करने से पहले मंगलवार को मंत्री ने हनुमानगढ़ में अािकारियों से चर्चा करके इससे जुड़े प्रकरणों का फीडबैक लिया। हनुमानगढ़ जिले में गत दिनों पकड़ में आए मामलों को देखते हुए मंत्री ने कृषि अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया। इस दौरान मंत्री ने हनुमानगढ़ में कृषि अधिकारियों की टीम को भी साथ में ले लिया। कृषि विभाग हनुमानगढ़ के संयुक्त निदेशक प्रमोद यादव, डॉ. राधेश्याम शर्मा, राजेंद्र बेनीवाल सहित जिले के करीब एक दर्जन अधिकारी मंत्री के साथ रहे। हनुमानगढ़ में अधिकारियों से चर्चा के बाद मंत्री श्रीगंगानगर के लिए रवाना हो गए। दोपहर करीब बारह बजे श्रीगंगानगर पहुंचकर रीको क्षेत्र में छापेमारी की कार्रवाई शुरू की। इससे पहले किसान संगठनों ने मंत्री के हनुमानगढ़ पहुंचने पर उनको किसानों से जुड़ी समस्याओं से अवगत करवाया। गौरतलब है कि हनुमानगढ़ जिले की रावतसर तहसील में नकली खाद बनाने का मामला सामने आ चुका है। इसकी जांच की जा रही है। मंत्री के हनुमानगढ़ दौरे के दौरान अन्य जगह भी छापेमारी के कयास लगाए जा रहे थे। परंतु मंत्री ने हनुमानगढ़ पहुंचने के बाद छापेमारी श्रीगंगानगर में जाकर की। जिले के कृषि विभाग में बीज, उर्वरक और कीटनाशकों के लाइसेंस को लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायत किसानों ने मंत्री के समक्ष रखी। इस दौरान किसानों ने बताया कि जिले को राज्य का ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है, लेकिन यहां के किसान अब विभागीय लापरवाही और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते शोषण का शिकार हो रहे हैं। कालीबंगा निवासी सुनील झोरड़ ने कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा से मुलाकात कर जिले में हो रहे इस भ्रष्टाचार की तीन प्रमुख शिकायतें प्रस्तुत की। शिकायत में बताया गया कि जिले में सैकड़ों दुकानों पर एक ही पते पर एक से अधिक लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं, जो पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध है। यह भी बताया गया कि कृषि विभाग के उच्च अधिकारी इन फर्जीवाड़ों की जानकारी के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि जिले में सभी लाइसेंसों की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
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