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किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 23 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 23 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

जयपुरApr 05, 2025 / 12:19 pm

sangita chaturvedi

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 23 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 23 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

परिवार परिशिष्ट (26 मार्च 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 23 में भेजी गई कहानियों में विष्णु मालव, आस्था और शार्विन मूढ क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता रहे। इनके साथ सराहनीय कहानियां भी दी जा रही हैं।
कौआ और बोतल
कैतो नाम का एक लड़का जमीन पर बैठा था और एक कौआ पेड़ पर बैठा था। कैतो को लगा कि कौए ने उसकी बोतल चुरा ली है। वह बोतल उसके लिए बहुत खास थी, क्योंकि उसमें उसकी दादी का दिया हुआ एक विशेष पेय था। कैतो ने पेड़ के चारों ओर घूमना शुरू किया और कौआ उसे देखता रहा।
कैतो को गुस्सा आ रहा था, लेकिन कौए की बेखबरी देखकर वह हंसने लगा। जब कैतो पेड़ के पास पहुंचा, तो उसने देखा कि उसकी बोतल वहीं पड़ी हुई है। कैतो ने राहत की सांस ली और कौए को धन्यवाद दिया। कौआ उड़ गया और कैतो ने सीखा कि कभी-कभी चीजें वैसी नहीं होतीं, जैसी वे दिखती हैं।
विष्णु मालव, उम्र-13वर्ष
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जिज्ञासु लड़के के हाथ खजाना
एक सुंदर गांव में एक जिज्ञासु लड़का रहता था, जिसका नाम था शौर्य। शौर्य को जंगल में भटकना और नई चीजें खोजने का बहुत शौक था। एक दिन वह जंगल में गया और एक बड़े पेड़ के नीचे बैठकर आसमान को निहारने लगा। तभी उसकी नजर पेड़ की डाल पर बैठे एक कौए पर पड़ी। कौआ अपने पंजों में एक चमकदार चीज पकड़े हुए था, जो दूर से बोतल जैसी लग रही थी। शौर्य ने सोचा, यह कौआ बोतल क्यों पकड़े है?
क्या इसमें कुछ रहस्य है? शौर्य धीरे-धीरे पेड़ के पास गया। उसने पेड़ पर चढऩा शुरू किया। जैसे ही वह डाल के पास पहुंचा, कौआ उड़ गया और बोतल नीचे गिर गई। शौर्य ने जल्दी से बोतल उठाई। उसने देखा कि बोतल में एक पुराना नक्शा था। उसने नक्शे के अनुसार गुफा ढूंढ ली। गुफा के अंदर उसे एक संदूक मिला, जिसमें ढेर सारे सोने के सिक्के और रत्न थे। लेकिन संदूक के पास एक संदेश भी था, जिसमें लिखा था, यह खजाना गांव की भलाई के लिए है। शौर्य ने खजाना गांववालों को दे दिया। उस खजाने से गांव में स्कूल, अस्पताल और सड़कें बनीं। शौर्य की सूझबूझ से गांव समृद्ध हो गया और वह सबका हीरो बन गया।
आस्था, उम्र-11वर्ष
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चतुर कौआ और जादुई बोतल
एक दिन एक कौवा बहुत प्यासा था। वह इधर-उधर उड़कर पानी खोज रहा था, लेकिन उसे कहीं भी पानी नहीं मिला। तभी उसने एक पेड़ के नीचे एक लड़के को देखा, जो उसकी तरफ देख रहा था। लड़के की आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वह कुछ सोच रहा हो। कौआ पेड़ की डाल पर बैठा और लड़के को घूरने लगा। लड़का भी उसे टकटकी लगाए देख रहा था। तभी लड़के के दिमाग में एक मजेदार बात आई।
अगर कौआ बोतल खोल सकता, तो क्या वह खुद कोल्ड ड्रिंक भी पी सकता? उसने सोचा कि कौवा अपनी चोंच से बोतल खोल रहा है और उसमें से ठंडी-ठंडी कोल्ड ड्रिंक मजे से पी रहा है! यह सोचकर लड़के को हंसी आ गई। तभी असली कौए ने जमीन पर रखी कटोरी को चोंच से टिक-टिक-टिक किया। लड़का चौंक गया। अरे, क्या यह सच में पानी मांग रहा है? उसने झट से कटोरी में पानी भर दिया। कौए ने खुशी-खुशी पानी पीया और जोर से कांव-कांव, करके उड़ गया। लड़का मुस्कुराया और आसमान की ओर देखा। कभी-कभी हमारी कल्पनाएं सच से भी ज्यादा मजेदार होती हैं। शिक्षा कल्पना नई चीजें सोचने और सीखने की ताकत देती है।
शार्विन मूढ़, उम्र-7
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चतुर कौआ और नन्हा रामू
रामू एक समझदार और जिज्ञासु बच्चा था। उसे बगीचे में खेलना बहुत पसंद था। एक दिन खेलते-खेलते उसने देखा कि एक कौआ पेड़ की ऊंची शाखा पर बैठा है। उसके पंजों में रोटी का टुकड़ा था। रामू को रोटी देखकर भूख लगने लगी। उसने सोचा, अगर मैं इस कौए से रोटी ले सकंू, तो मजा आ जाएगा!
रामू ने पहले पेड़ पर चढऩे की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने ऊपर बढऩे की कोशिश की, कौआ फौरन उड़कर दूसरी डाल पर चला गया। रामू समझ गया कि सीधा तरीका काम नहीं करेगा। अब उसे कोई चालाकी करनी होगी। अचानक उसके दिमाग में एक तरकीब आई। वह घर के अंदर गया और वहां से एक बिस्कुट लेकर आया। फिर उसने कौए की ओर बिस्कुट का एक टुकड़ा उछालते हुए कहा, अरे कौए भैया, यह बिस्कु ट बहुत स्वादिष्ट है! अगर तुम अपनी रोटी मुझे दोगे, तो मैं तुम्हें यह दूंगा। कौआ पहले तो झिझका, लेकिन जैसे ही उसने बिस्कुट देखा, वह लालच में आ गया। उसने रोटी छोड़ दी और बिस्कुट की ओर लपका। रामू ने तुरंत रोटी उठा ली। उस दिन रामू ने सीखा कि चतुराई और धैर्य से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
गोपेश वीर सिंह, उम्र-10वर्ष
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आर्यन और कौए की दोस्ती
एक छोटे से गांव में ही जिज्ञासु और साहसी लड़का था। वह हमेशा अपने आसपास की दुनिया के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता था। एक दिन, आर्यन ने एक पुराने पेड़ के नीचे एक छोटा सा दरवाजा देखा। वह दरवाजा इतना छोटा था कि आर्यन को लगा कि यह किसी छोटे से जानवर के लिए होगा। लेकिन आर्यन की जिज्ञासा बढ़ गई और उसने दरवाजे को खोलने का फैसला किया। जब उसने दरवाजा खोला, तो उसने एक छोटा सा कमरा देखा जिसमें एक छोटा सा कौआ बैठा था। कौए ने आर्यन को देखा और कहा, मैं तुम्हें एक रहस्य बताऊंगा।
यह पेड़ एक जादुई पेड़ है और इसकी जड़ों में एक छोटा सा राज्य है। आर्यन को यह बात बहुत रोचक लगी और उसने कौए से पूछा, क्या मैं उस राज्य को देख सकता हूं? कौए ने कहा, हां, तुम उस राज्य को देख सकते हो, लेकिन तुम्हें पहले एक परीक्षा पास करनी होगी। आर्यन ने परीक्षा पास की और उसे उस जादुई राज्य में ले जाया गया। वहां उसने बहुत सारे रोचक और जादुई चीजें देखीं। आर्यन ने कौए को धन्यवाद दिया और कहा, तुमने मुझे एक नए दुनिया से परिचित कराया। कौए ने मुस्कुरा कर कहा, मैं तुम्हारा दोस्त हूं और मैं हमेशा तुम्हारी मदद करूंगा। आर्यन और कौए की दोस्ती बहुत गहरी हो गई और वे हमेशा साथ में नए साहसिक कार्य करते रहे।
तेजस्वी भटेवरा, उम्र-11वर्ष
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चतुर कौआ
गर्मियों की दोपहर थी। एक लड़का बगीचे में खेल रहा था। जब उसने एक पेड़ पर बैठे एक कौए को देखा। कौआ बेचैन लग रहा था। वह बार-बार इधर-उधर उड़ता और नीचे जमीन पर कुछ ढूंढने की कोशिश करता। लड़का उसे ध्यान से देखने लगा। तभी उसने देखा कि कौआ चोंच में एक छोटा-सा कंकड़ उठाकर पास रखे घड़े में डाल रहा था। लड़के को यह देखकर आश्चर्य हुआ। यह कौआ ऐसा क्यों कर रहा है? उसने सोचा। फिर उसे अपनी दादी की सुनाई कहानी याद आई—प्यासे कौए की कहानी, जिसने घड़े में कंकड़ डालकर पानी ऊपर किया और अपनी प्यास बुझाई थी।
उत्सुकता में वह धीरे-धीरे घड़े के पास पहुंचा और छिपकर देखने लगा। कौआ बार-बार कंकड़ उठाता और घड़े में डालता रहा। धीरे-धीरे पानी ऊपर आने लगा। कुछ ही देर में पानी घड़े के किनारे तक पहुंच गया। कौए ने अपनी चोंच डुबोई और पानी पी लिया। लड़के को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था! वह दौड़कर अंदर गया और खुशी से चिल्लाया, दादी! दादी! आपने जो कहानी सुनाई थी, वह सच है! मैंने अपनी आंखों से कौए को वही करते देखा! दादी मुस्कुराईं और बोलीं, हां बेटा, प्रकृति से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उस दिन के बाद, लड़के ने प्रकृति को और ध्यान से देखना शुरू कर दिया, यह जानने के लिए कि उससे और क्या-क्या सीख सकता है।
महिमा शाकद्वीपीय, उम्र-12 वर्ष
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कौए की समझदारी
एक बार की बात है, एक दिन एक बच्चा जंगल में खो गया। उसे पेड़ पर कौआ दिखा। वह बच्चा उससे पूछता है कि क्या तुमने मेरे मम्मी पापा को देखा है? तब कौआ बोला मैंने अभी तो नहीं देखा, पर मैं उन्हें ढूंढ दूंगा। बच्चा कहता है, तुम तो इतने छोटे हो। तुम कैसे ढूंढोगे? वह कौआ कहता है, मैं ढूंढ तो दूंगा लेकिन तुम्हें उसके लिए मुझे कोल्ड ड्रिंक देनी होगी।
तो वह बच्चा अपनी जेब में से पैसे निकाल कर इधर-उधर घूमता है और देखता है। उसे एक दुकान मिलती है और वह एक कोल्ड ड्रिंक खरीद के उसे दे देता है। उसके बाद कौआ इधर-उधर घूम कर उसे उसके मम्मी-पापा से मिलवा देता है। बच्चा कौए को बोलता है, थैंक यू मैंने तुम्हें छोटा कहा इसलिए सॉरी और वे दोनों हमेशा के लिए दोस्त बन जाते हैं। इस कहानी की शिक्षा है कि हमें कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए।
ईशानी, उम्र-9वर्ष
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कौआ और लड़के की दोस्ती
एक परिवार में माता-पिता और बेटा रहते थे। बेटे का नाम मोहन था। वे तीनों रोज अपने खेत मे चने की फसल देखने और संवारने जाते थे। चने के खेत में एक नीम का पेड़ लगा हुआ था। एक दिन मोहन को नीम के पेड़ पर एक कौआ बैठा दिखाई दिया। कौए को देखकर मोहन तुरंत कुछ रोटी लाया और एक पत्थर के ऊपर रख दी। कौए ने रोटी देखी और तुरंत अपनी चोंच में रोटी दबाकर वापस पेड़ पर बैठकर मजे से खाने लगा।
यह देखकर मोहन बहुत प्रसन्न हुआ। अब मोहन रोज पेड़ पर कौए को देखता और कौए के लिए रोटी रखता। धीरे-धीरे कौआ उसे जानने लगा कि यह अच्छा लड़का है और दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। एक दिन मोहन ने अपने माता-पिता से पूछा कि कौआ हमारी किस प्रकार मदद कर सकता है? उसके माता-पिता ने कहा कौए हमारे खेतों में बहुत सहायता करते हैं। कौए फसलों में लगने वाले कीड़े-मकौड़े खा लेते हैं, जिससे हमारी फसल चना, मटर, गेहूं आदि खराब नहीं होती है। यह बात सुनकर मोहन आश्चर्य में पड़ गया। वह नीम के पेड़ के पास कौए को देखकर मन ही मन सोचने लगा अगर कौए हमारी इतनी मदद करते हैं तो हमें भी उन्हें खाना देना चाहिए।
नीलम विश्वकर्मा, उम्र-11वर्ष
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किट्टू और कौए की बातचीत
किट्टू एक छोटा सा लड़का था और वह कहानी सुनाने में रुचि रखता था। एक बार रविवार के दिन जब किट्टू अपने घर के बगीचे में टहल रहा था, तो उसने देखा पेड़ पर एक कौआ बैठा है। फिर किट्टू के दिमाग में एक खिचड़ी पकना शुरू हुई और उसने कौए से स्वादिष्ट भोजन हड़पने का विचार किया। उसके बाद उसने कौए से कहा, अरे भाई हमने तो सुना है कि कौए अपना भोजन ढूंढने में बहुत ही दक्ष और निपुण होते हैं । फिर कौए ने कहा है यह बात बिल्कुल सच है । फिर किट्टू ने कहा अरे भाई क्यों झूठ बोल रहे हो, तुम्हारे पास तो कुछ भी खाने का नहीं। फिर कौए ने कहा कि तुम मेरी बात मान लो।
मैं सच कह रहा हूं। अगर तुम्हें विश्वास नहीं, तो तुम दस मिनट रुको, मैं कुछ लेकर आता हूं। उसके बाद जब थोड़ी देर में कौआ आया, तो किट्टू ने देखा कि उसके मुंह में खाने का कु छ भी नहीं था। फिर किट्टू ने कौए से कहा, अरे भाई तुम्हारे पास तो कु छ भी खाने का नहीं। मतलब तुम अपना भोजन ढूंढने में असफल हो गए। नहीं मैं तो अपना भोजन ढूंढ के ले आया। फिर किट्टू ने कहा फिर कहां पर है तुम्हारा खाना? फिर कौए ने कहा, मैंने तो अपना खाना गुस्से में रख दिया। फिर किट्टू ने कहा तुम्हें मेरे पास आना चाहिए था। खाना खाते हम और बातचीत करते। फिर कौए ने कहा कि शायद तुम्हें पता नहीं लेकिन तुम जब भी आंगन में बैठकर कोई कहानी सुनते हो, तो मैं भी तुम्हारे पीछे इस पेड़ पर बैठकर कहानी सुनता हूं और मुझे पता है कि अक्सर तुमने जो कहानी सुनी है उसमें कौए को मूर्ख बताया गया है पर मैं मूर्ख नहीं। फिर किट्टू ने उससे माफी मांगी।
हेमश्री वशिष्ठ, उम्र-10वर्ष
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नानी का घर
गर्मी की छुट्टियों के दिनों की बात है। मैं मेरी नानी के घर गई थी। वहां मैं और मेरा भाई अपने दोस्तों के साथ एक उपवन में खेल रहे थे।कभी-कभी हम खाने और पीने की चीजें लेकर जाते थे। वहां हमारी जूस की बोतल खाली हो जाती थी। फिर हमने उस चोर को पकडऩे का सोचा।
अगले दिन दो मित्र पेड़ के पीछे छुप कर जूस पर निगरानी रख रहे थे। बाकी सब खेलने का नाटक कर रहे थे। फिर उन्होंने देखा कि एक कौआ जो उसी पेड़ के ऊपर रहता है। वही उस बोतल में से जूस पी रहा था। फिर यह बात हमने नानी को बताई। उन्होंने कहा वह प्यासा होगा। इसके बाद हमने उसके लिए पानी का प्रबंध किया। कौआ खुशी-खुशी पानी पीने लगा।
ख़ुशी पुरोहित, उम्र-12वर्ष
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राघव और चालाक कौआ
एक छोटे से गांव में राघव नाम का एक शरारती लड़का रहता था। वह हमेशा दूसरों को परेशान करने में मजे लेता था। एक दिन वह पेड़ के नीचे बैठा हुआ था और अपनी किताब में से गणित का एक सवाल हल कर रहा था। लेकिन उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं था। तभी उसने देखा कि एक कौआ पेड़ की डाल पर बैठा है। राघव ने सोचा, चलो इस कौए को परेशान करते हैं! उसने पास पड़े छोटे-छोटे पत्थर उठाए और कौए की ओर फेंकने लगा। कौआ चुपचाप देखता रहा और हर बार पत्थर से बचकर उड़ जाता। कुछ देर बाद, कौए ने एक चाल सोची। वह पेड़ से उड़कर राघव के पास आया और उसकी किताब पर बैठ गया। राघव ने उसे भगाने की कोशिश की, लेकिन कौआ नहीं हटा।
तभी कौए ने अपनी चोंच से राघव की पानी की बोतल उठाई और पेड़ की ऊंची डाल पर ले गया। राघव चिल्लाया, मेरी बोतल वापस दो! लेकिन कौआ हंसता रहा। अब राघव को समझ आया कि उसकी शरारत का नतीजा क्या हुआ है। वह मन ही मन पछताने लगा। कौआ बोला, अगर तुमने मुझे परेशान नहीं किया होता, तो मैं तुम्हारी बोतल नहीं लेता। राघव ने माफी मांगी और वादा किया कि वह अब कभी किसी को तंग नहीं करेगा। कौवा खुश हुआ और राघव को उसकी बोतल वापस दे दी। राघव ने फिर से अपना गणित का सवाल हल किया और समझ गया कि दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने से ही सब कुछ ठीक होता है। शिक्षा दूसरों को परेशान करने से हमेशा नुकसान ही होता है। अच्छे व्यवहार से दोस्ती बनती है और समस्याएं हल होती हैं।
आराध्या गुप्ता, उम्र-10

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