1960 के करीब भगवान सिंह रोलसाहबसर श्री क्षत्रिय युवक संघ से जुड़ते ही बाड़मेर से जुड़ गए। उन्होंने 1979 तक प्रथम संघ प्रमुख व संस्थापक तनसिंह रामदेरिया के साथ ही कार्य किया। 1989 में संघ प्रमुख नारायणसिंह के देहावसान के बाद भगवान सिंह रोलसाहबसर श्री क्षत्रिय युवक संघ के प्रमुख बने। उन्होंने तनसिंह के पैतृक आवास को संघ कार्यालय तनसिंह सदन बनाते हुए यहां से क्षत्रिय युवक संघ के विस्तार को लेकर कार्य प्रारंभ किया।
22 दिसंबर 1996 को देश में गति 22 दिसंबर 1996 को जयपुर में हुए बड़े सम्मेलन के बाद में पूरे देश में धीरे-धीरे क्षत्रिय युवक संघ का विस्तार हुआ। 2010 में बीएसएफ बाड़मेर के पीछे तनाश्रय का निर्माण हुआ।
आलोक आश्रम और देश विदेश में कीर्ति जानकारी अनुसार 2016 में बाड़मेर में आलोक आश्रम गेहूं मार्ग पर पहाडिय़ों के बीच बना। आलोक आश्रम में उन्होंने शाखाओं के विस्तार, दुर्गा वाहिनी, संघ शिविर और सामाजिक विकास व राजनीतिक चेतना की गतिविधियां संचालित की। 2021 में वे संघ संरक्षक के दायित्व में आ गए। बाड़मेर के सिवाना में ही रोलसाहबसर का विवाह हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का लंबा समय बाड़मेर में व्यतीत किया। वे सामाजिक सद्भाव, राष्ट्र विकास, समाज, संस्कृति और सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के कार्य के लिए समर्पित रहे।
संपूर्ण जिले में शोक की लहर रोलसाहबसर के निधन का समाचार संपूर्ण बाड़मेर, जैसलमेर, बालोतरा में शोक की लहर संचारित कर गया। संघ कार्यकर्ताओं के अलावा हर वर्ग के लोगों ने उनके निधन पर शोक संवेदना जताई। क्षत्रिय समाज के लोगों ने इसे समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया है ।