एक वर्ष पहले कोटा दिल्ली मुंबई लाइन पर रेलवे पटरी के किनारे रेलवे विभाग के द्वारा जानवरों की सुरक्षा के लिए लोहे के पाइप लगाकर बनाई गई सुरक्षा दीवार बनाने के बाद से रेलवे विभाग ने शमशान जाने का रास्ता बंद कर दिया है। जिसके चलते गांव में मौत होने के बाद उसके अंतिम संस्कार करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शव को पाइपों से निकाल कर रेल पटरी पारकर डेढ़ किलोमीटर दूर पैदल शमशान स्थल पर बड़ी मुश्किल से पहुंचना पड़ रहा है जिससे ग्रामीण काफी परेशान है। रेलवे विभाग को शिकायत करने के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
विजय केवट ने बताया गांव में शिक्षा का अभाव है। गांव में 1997 से प्राइमरी स्कूल चल रहा था जिसे भी सरकार के द्वारा 11 फरवरी 2025 से बंद कर दिया है। जिसके चलते बच्चों को पढ़ाई में बाधा उत्पन्न हो गई है रेल की पटरी बीच में आने से बच्चे जान जोखिम में डालकर तीरथ स्कूल में पढ़ने जाने को मजबूर है। वहीं छोटे बच्चे स्कूल में नहीं पहुंच पा रहे हैं। गांव से तीरथ गांव की दूरी 2 किलोमीटर है जिसके चलते छात्राए कॉलेज तक की शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रही है जिसके चलते पूरे गांव में तीन युवा सरकारी सेवा में है।
85 वर्षीय रामजोध बाई ने बताया गांव की अधिकांश आबादी खेती मजदूरी पशुपालन के ऊपर निर्भर है। गांव में 80 प्रतिशत आबादी केवट परिवार की है गांव में तालाब का अभाव है। गांव के अंदर आधे मकान कच्चे हैं गांव से जिला मुख्यालय जाने के लिए ग्रामीणों को 4 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य रोड पर पहुंचना पड़ रहा है जिसके चलते अधिकांश बालिकाएं कॉलेज तक नहीं पहुंच पा रही है। गांव तक पहुंचाने के लिए रोडवेज बस सेवा का अभाव है। गांव की सड़क जर्जर अवस्था में है गांव में बैंक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पशु चिकित्सा केंद्र का भी अभाव है रात्रि के समय इलाज के लिए केशवरायपाटन कोटा बूंदी जाना पड़ रहा है छोटे-छोटे कार्य को लिए भी 2 किलोमीटर दूर तीरथ गांव में जाना पड़ता है। 75 वर्षीय भैरूलाल केवट ने बताया कि गांव की आधी जमीन पर नहर का पानी आता है और आदि जमीन पर बरसात के पानी से ही खेती करनी पड़ती है।