सम्पादकीय : स्टील और एल्यूमिनियम पर टैरिफ ने बढ़ाई चिंता
चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्टील निर्यातक है। वह हर साल अमरीका को करीब 5.08 लाख टन स्टील और 2.22 लाख मीट्रिक टन एल्यूमिनियम निर्यात करता है।


अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के विदेशी स्टील और एल्यूमिनियम पर टैरिफ 25 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के ऐलान ने भारत समेत कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। ट्रंप के इस कदम को उनकी ‘अमरीका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि वह घरेलू स्टील और एल्यूमिनियम उद्योग को मजबूत कर इन धातुओं के विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना चाहते हैं। लेकिन मामला ‘कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना’ वाला लग रहा है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्टील निर्यातक है। वह हर साल अमरीका को करीब 5.08 लाख टन स्टील और 2.22 लाख मीट्रिक टन एल्यूमिनियम निर्यात करता है। ट्रंप का मानना है कि चीन सस्ते स्टील की डंपिंग कर अमरीकी बाजार को नुकसान पहुंचा रहा है। महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकी व्यापार को लेकर चीन के साथ पहले से चल रहे तनाव के बीच टैरिफ बढ़ाकर उनका मकसद चीन को झटका देना है।
इस फैसले ने कई दूसरे देशों को भी हिला दिया है। यह फैसला ऐसे समय किया गया है, जब भारत और अमरीका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर इसी हफ्ते नई दिल्ली में बातचीत होने वाली है। ट्रंप के पिछले कार्यकाल में जब स्टील पर 2५ प्रतिशत और एल्यूमिनियम पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था तो भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को नोटिस भेजकर आपत्ति दर्ज कराई थी। इस बार ऐसा किया जाएगा या नहीं, फिलहाल स्पष्ट नहीं है। यह जरूर स्पष्ट है कि ट्रंप के इस कदम से भारत के स्टील और एल्यूमिनियम निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। हालांकि कनाडा, चीन, मैक्सिको, ब्राजील, दक्षिण कोरिया और जर्मनी इन धातुओं के बड़े निर्यातक हैं, अमरीका में भारतीय स्टील की भी काफी मांग है। स्टील और एल्यूमिनियम की भारत के कुल निर्यात में अहम हिस्सेदारी है। भारत हर साल अमरीका को करीब चार अरब डॉलर का स्टील और 1.1 अरब डॉलर का एल्यूमिनियम निर्यात करता है। टैरिफ के कारण अमरीका में दोनों धातुओं की लागत बढ़ेगी। मांग घटने से भारत को नुकसान हो सकता है। वैसे सबसे बड़ा नुकसान अमरीकी नागरिकों को झेलना पड़ सकता है। वहां हाउसिंग, ऑटोमोटिव, कंस्ट्रक्शन उद्योग स्टील और एल्यूमिनियम पर निर्भर हैं। अमरीका में 2018 के टैरिफ के बाद स्टील की कीमतें 16 प्रतिशत बढ़ गई थीं। इस बार कीमतें और बढ़ सकती हैं। फिलहाल अमरीका में स्टील की कीमत प्रति टन 984 डॉलर है। चीन में यह सबसे कम 392 डॉलर, जबकि भारत में 500-550 डॉलर प्रति टन है।
टैरिफ के कारण अमरीकी बाजार में सस्ते स्टील की डंपिंग बढ़ सकती है। इसे देखते हुए भारत को भी यूरोपीय संघ और ब्राजील की तरह स्टील और एल्यूमिनियम के वैकल्पिक बाजार की तलाश शुरू करनी होगी। इन धातुओं का निर्यात बढ़ाने के लिए ‘अमरीका से आगे जहां और भी हैं’ की नीति वक्त का तकाजा है।
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