scriptसंपादकीय : बलूचिस्तान में बोए बबूल, कांटों से घिरा पाकिस्तान | Editorial: Acacia sown in Balochistan, Pakistan surrounded by thorns | Patrika News
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संपादकीय : बलूचिस्तान में बोए बबूल, कांटों से घिरा पाकिस्तान

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक कांड को लेकर अब तक तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है। पाकिस्तानी फौज ने दावा किया था कि उसने 33 बागियों को ढेर कर ट्रेन के सभी बंधक यात्रियों को मुक्त करवा लिया है। ट्रेन हाईजैक करने वाला अलगाववादी संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) अब दावा कर […]

जयपुरMar 16, 2025 / 09:09 pm

Sanjeev Mathur

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक कांड को लेकर अब तक तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है। पाकिस्तानी फौज ने दावा किया था कि उसने 33 बागियों को ढेर कर ट्रेन के सभी बंधक यात्रियों को मुक्त करवा लिया है। ट्रेन हाईजैक करने वाला अलगाववादी संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) अब दावा कर रहा है कि वह यात्रियों में शामिल 214 पाकिस्तानी फौजियों की हत्या कर चुका है। बाकी यात्रियों को उसने रिहा कर दिया था। कौन सच बोल रहा है, कोई नहीं जानता, लेकिन यह हकीकत शीशे की तरह साफ है कि बलूचिस्तान को लेकर पाकिस्तान में अस्थिरता और गहरा गई है। पाकिस्तान हर अंदरूनी संकट के लिए भारत पर दोषारोपण करता रहा है। ट्रेन हाईजैक कांड को लेकर उसने भारत के साथ अफगानिस्तान पर भी अंगुलियां उठाई हैं। भारत ने आरोपों को खारिज करते हुए दो टूक कहा है- ‘सारी दुनिया जानती है कि आतंकवाद का केंद्र कहां है। अपनी नाकामियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराने के बजाय पाकिस्तान अपने घर को संभाले।’ दरअसल, आतंकवाद की नर्सरी चलाने वाले पाकिस्तान के लिए आतंकवाद भस्मासुर बन चुका है। आतंकियों को खाद-पानी मुहैया कराने के चक्कर में उसने अपनी घरेलू समस्याओं की लगातार अनदेखी की।
बलूचिस्तान की समस्या 78 साल पुरानी है। विभाजन के बाद बलूचिस्तान के लोग अपना अलग देश चाहते थे, लेकिन इसे जबरन पाकिस्तान में मिला लिया गया। वहां विद्रोह के स्वर दबाने की जितनी कोशिशें की गईं, यह उतना मुखर होता गया। बलूचिस्तान में सक्रिय अलगाववादी संगठन बीएलए ने पाकिस्तानी हुकूमत की नींद उड़ा रखी है। पिछले पांच साल में बीएलए के हमलों में कई पाकिस्तानी फौजी समेत करीब 600 लोग मारे गए। बलूचिस्तान क्षेत्रफल के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा, लेकिन आबादी के लिहाज से छोटा प्रांत है। विपुल खनिज भंडार के अलावा पाकिस्तान के लिए यह इसलिए भी अहम है, क्योंकि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपैक) यहीं से गुजरता है। चीन का यहां बड़ा निवेश भी है इसलिए बलूचिस्तान में चीनी कामगार भी बीएलए के निशाने पर हैं। जब तक पाकिस्तान बलूच लोगों की समस्याओं के समाधान की दिशा में कदम नहीं बढ़ाएगा, इस क्षेत्र में धधक रहा ज्वालामुखी ठंडा होने के आसार नजर नहीं आते। भारत को बलूचिस्तान के घटनाक्रम पर सतत निगरानी रखनी होगी। सतर्कता भी जरूरी है, ताकि बलूचिस्तान से ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान हमारे सीमावर्ती इलाकों में किसी साजिश को अंजाम न दे सके।

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