संपादकीय : ताकि लोकतंत्र पर बढ़ सके लोगों का भरोसा
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए आधार कार्ड से वोटर आइडी को जोडऩे का निर्णय लिया है। इससे पहले आयोग ने कहा कि अब किसी भी मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। ये फैसले देश में लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण […]


चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए आधार कार्ड से वोटर आइडी को जोडऩे का निर्णय लिया है। इससे पहले आयोग ने कहा कि अब किसी भी मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। ये फैसले देश में लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण और स्वागत योग्य कदम हैं। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में मतदान कराना बेहद मुश्किल काम है। मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतारें और सीमित संसाधन चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इससे मतदाता हतोत्साहित होते हैं और मतदान का कम आंकड़ा लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। यही कारण है कि मतदान के आंकड़ों को लेकर मामले संसद और कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। आयोग के फैसले इसलिए भी अहम है कि मतदान केंद्रों पर 1200 से कम मतदाता होने पर भीड़ नहीं होगी। दैनिक मजदूर, छोटे दुकानदार, रिक्शा चालक, ड्राइवर और निम्न आय वर्ग के लोग मतदान के बाद अपने काम पर जा सकेंगे। दूसरा पहलू यह भी है कि दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को मतदान केंद्रों तक पहुंचने में सहूलियत होगी और मतदान में उनकी भागीदारी बढ़ेगी।
हालांकि नए मतदान केंद्रों के लिए संसाधनों की उपलब्धता, सुरक्षा व्यवस्था और प्रशिक्षित चुनाव कर्मी संबंधी कई चुनौतियां होंगी, लेकिन स्वस्थ लोकतंत्र के लिए इन पर पार पाना ही होगा। आधार कार्ड से वोटर आइडी के जुडऩे से मतदान सूची में फर्जी मतदाताओं के नाम जोडऩे के विवादों से मुक्ति मिलेगी। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी नागरिक की निजता का उल्लंघन ना हो, यह सुनिश्चित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मतदान के 48 घंटे में अंतिम प्रमाणित वोटर टर्नआउट के आकंड़े भी जारी करने पर विचार करने को कहा है। आयोग इस मामले पर भी विचार कर रहा है। विपक्ष या चुनाव हारने वाले दल वोटर टर्नआउट के आंकड़ों को लेकर आशंकित रहते हैं। इसे लेकर संसद के दोनों सदनों में सवाल भी उठाए गए। इन निर्णयों से राजनीतिक दलों की भी आशंकाएं दूर हो सकेंगी। इन फैसलों से साफ है कि आयोग ने दशकों से लंबित चुनौतियों को दूर करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। ये कदम चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, समावेशिता और दक्षता को बढ़ाने के लिहाज से अहम साबित होंगे। एक सशक्त लोकतंत्र की नींव महत्त्वपूर्ण फैसलों पर ही टिकी होती है। ऐसे में, उम्मीद है कि आयोग के नए निर्णयों से मतदान प्रक्रिया अधिक सुविधाजनक होगी और लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा।
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