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समाचारों की गुणवत्ता व सटीकता के लिए रिसर्च विंग जरूरी

इंडियन एक्सप्रेस के रामनाथ गोयनका उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संबोधन

जयपुरMar 21, 2025 / 01:23 pm

Neeru Yadav

लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का महत्त्व अत्यधिक है। यदि नागरिकों को अच्छी तरह जानकारी नहीं मिलेगी, तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं अपना अर्थ खो देंगी। एक सजीव और विचारों से भरपूर न्यूज रूम पत्रकारिता के कामकाजी मॉडल के लिए आवश्यक है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने एक बार यह आवश्यकता जताई थी कि न्यूज रूम के साथ एक रिसर्च विंग होनी चाहिए ताकि समाचार की गुणवत्ता और सटीकता सुनिश्चित की जा सके।
मैं यह भी महसूस करती हूं कि समाचार संग्रहण, जो पत्रकारिता की आत्मा है, को सुदृढ़ किया जाना चाहिए। ग्राउंड रिपोर्टिंग की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अधिक संसाधन समर्पित करने चाहिए। यह तब तक नहीं कर सकते जब तक इसकी जीविका के लिए एक व्यावहारिक ‘व्यापार मॉडल’ न हो। पहले, अखबारों और पत्रिकाओं का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण रिपोर्टिंग और विश्लेषण प्रदान करना था और पाठक उनकी प्रतियां खरीदते थे। पाठकों की पर्याप्त संख्या का मतलब था- विज्ञापनदाताओं के लिए एक अच्छा मंच, जो लागतों में कमी लाते थे। हाल के दशकों में हालांकि इस मॉडल की जगह कई हाइब्रिड मॉडल्स आ गए हैं। इनकी सफलता को पत्रकारिता की गुणवत्ता पर उनके प्रभाव से मापना चाहिए। यह सत्य है कि दुनियाभर में धन के स्रोतों की संख्या सीमित है। यह राज्य, कॉर्पोरेट संस्थाएं या पाठक हो सकते हैं। जबकि पहले दो के अपने फायदे और सीमाएं हैं। तीसरा विकल्प अर्थात् पाठक को केंद्र में रखना सबसे बेहतर विकल्प है। इसकी केवल एक ही सीमा है। उस मॉडल को बनाए रखना मुश्किल होता है।
मैं समझती हूं कि दुनियाभर के प्रमुख समाचार प्लेटफॉम्र्स इस चुनौती से जूझ रहे हैं। हम सभी को इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि लाभप्रदता और पाठक के प्रति जिम्मेदारी परस्पर विरोधी नहीं हैं। वास्तव में, वे एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। कंटेंट क्रिएशन के संदर्भ में आशा करते हैं कि हम जल्द ही उस स्थिति तक पहुंचेंगे जब द्वेषपूर्ण सामग्री को बाहर किया जाएगा और तथाकथित पोस्ट-ट्रूथ का चलन समाप्त होगा। उस लक्ष्य के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग भी किया जा रहा है। हम इस प्रक्रिया को सक्रिय अभियानों के माध्यम से तेज कर सकते हैं, जो नागरिकों को इन जोखिमों के बारे में शिक्षित करें। वास्तव में, डीपफेक और एआइ के अन्य दुरुपयोगों के खतरे को देखते हुए हमें सभी नागरिकों को इस महत्त्वपूर्ण पहलू के बारे में संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। विशेष रूप से युवा पीढ़ी को यह सिखाया जाना चाहिए कि किसी भी प्रकार की समाचार रिपोर्ट या विश्लेषण में पूर्वाग्रह और एजेंडा को कैसे पहचानें। एआइ दुनिया में व्यवधान पैदा कर रहा है, जो कई क्षेत्रों में नए अवसरों के साथ-साथ नई चुनौतियां भी पैदा कर रहा है, जिनमें पत्रकारिता भी शामिल है। जो चीज एआइ के पास नहीं है, वह है सहानुभूति। यह तत्त्व पत्रकारों को एआइ से आगे रखने में मदद करेगा। मानवीय मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता कभी समाप्त नहीं होने वाली है।

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