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नेतृत्व: ‘कमल’ से समझें अनुग्रह और आंतरिक पवित्रता

— प्रो. हिमांशु राय 
(निदेशक, आइआइएम इंदौर)

जयपुरApr 21, 2025 / 01:07 pm

विकास माथुर

भारतीय संस्कृति और दर्शन में कई अभिनंदनीय प्रतीक हैं। इन सभी से हमें कई सीख प्राप्त होती हैं और ये हमें नेतृत्व की सीख भी देते हैं। इन्हीं प्रतीकों में से एक है कमल, जिसे पद्म भी कहा जाता है, जो न केवल सौंदर्य की अप्रतिम छवि प्रस्तुत करता है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
एक सच्चे और सफल लीडर के लिए ‘कमल’ जटिलताओं से अप्रभावित रहते हुए उनका समाधान खोजने की कला का एक चिंतनशील आदर्श प्रस्तुत करता है। 1. चुनौतियों से ऊपर उठना कमल मलिन जल से जन्म लेकर भी अपनी पंखुडिय़ों की निर्मलता बनाए रखता है। यह आध्यात्मिक वैराग्य का प्रतीक है, जहां व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों, राजनीति व दबावों के बीच रहकर भी उनसे अप्रभावित रहते हुए शुद्धता एवं कर्तव्यनिष्ठा बनाए रखता है। एक सच्चे लीडर को भी संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और अहंकार रूपी ‘मलिन जल’ से ऊपर उठकर, उन चुनौतियों से जूझते हुए भी निष्कलंक रहना चाहिए। 2. दबाव में भी अनुग्रह बनाए रखना विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, कमल शांति और सौंदर्य के साथ खिलता है।
नेतृत्व भी यही मांग करता है-दबाव में संतुलन बनाए रखना, गरिमा से निर्णय लेना और आवेश में प्रतिक्रिया देने के बजाय सोच-समझकर उत्तर देना। कमल हमें सिखाता है कि सच्चा अनुग्रह आदर्श परिस्थितियों में नहीं, बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों में आत्मसंयम से प्रकट होता है। 3. सहयोग के साथ वैराग्य कमल जल में पनपता है, परंतु उसमें विलीन नहीं होता। यह संसार में सक्रिय रूप से भाग लेता है, किंतु उसमें उलझता नहीं। नेतृत्व, विशेष रूप से भारतीय आध्यात्मिक दृष्टिकोण में त्याग का पर्याय नहीं है, बल्कि बिना अहंकार व आसक्ति के पूर्ण समर्पण और प्रतिबद्धता से कार्य करने का प्रतीक है। 4. आंतरिक शुद्धता और बाहरी प्रभाव कमल का पुष्प गहरे आध्यात्मिक प्रतीकात्मक अर्थों के कारण भी पवित्र माना जाता है। सच्चा नेतृत्व भीतर से प्रारंभ होता है। जितनी अधिक आंतरिक स्पष्टता विकसित होगी, उतना ही बाहरी प्रभाव गहरा होगा।

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