सम्पादकीय : हर वैश्विक संगठन को चाहिए भारत का साथ
यह न्योता भारत की वैश्विक हैसियत को तो और मजबूत करने वाला है ही, भारत और कनाडा के रिश्तों को फिर पटरी पर लाने की दिशा में भी अहम साबित हो सकता है।


जी -7 देशों के 15 जून से शुरू होने वाले शिखर सम्मेलन का भारत को न्योता मिलने के बाद अटकलों पर विराम लग गया है। कहा जा रहा था कि कनाडा के साथ चल रही तनातनी को लेकर हो सकता है कि भारत को कनाडा की मेजबानी में होने वाले इस सम्मेलन में न बुलाया जाए। दुनिया की सात प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं (अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ्रांस, इटली और कनाडा) के इस सालाना आयोजन में भारत की कई बार सक्रिय भागीदारी रही है। जी-7 का सदस्य नहीं होने के बावजूद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के साथ कई अहम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के केन्द्र भारत को किसी भी अंतरराष्ट्रीय संगठन के आयोजन में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
यह न्योता भारत की वैश्विक हैसियत को तो और मजबूत करने वाला है ही, भारत और कनाडा के रिश्तों को फिर पटरी पर लाने की दिशा में भी अहम साबित हो सकता है। जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों और कनाडा में एक सिख नेता की हत्या के मामले में भारत पर लगाए गए आरोपों ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में तनाव बढ़ाया था। कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की भारत के साथ बेहतर रिश्तों की इच्छा जताने के बाद उनकी भारतीय मूल की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने हाल ही कहा था कि उनका देश भारत के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में काम कर रहा है। कनाडा, दोनों देशों में उच्चायुक्तों की नियुक्ति के मुद्दे पर भी विचार कर रहा है। भारत के प्रति कनाडा के लचीले रुख को कुछ विश्लेषकऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन (ओईसीडी) की उस चेतावनी से जोडक़र भी देख रहे जिसमें अनुमान जताया गया था कि आने वाले समय में कनाडा की अर्थव्यवस्था वैश्विक मंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित होगी। कार्नी भारत-चीन से रिश्ते सुधारकर कनाडा की अर्थव्यवस्था को ऊर्जा देने की कोशिश कर रहे हैं। दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कनाडा, घरेलू मोर्चे पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऊंची ब्याज दरें, महंगाई और कमजोर मांग से वहां घरेलू क्रय शक्ति घट रही है। प्रति व्यक्ति उत्पादन में गिरावट आ रही है और बेरोजगारी बढ़ रही है।
जी-7 सम्मेलन के न्योते का निहितार्थ यह भी है कि दुनिया भारतीय विदेश नीति का लोहा मान रही है। निर्गुट रहने के कारण हर वैश्विक संगठन के लिए उसका साथ जरूरी है। चाहे वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद हो, ब्रिक्स, क्वाड, या जी-7 हो। उम्मीद है, जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत के साथ मिलकर सभी देश आपसी विश्वास बहाली व कूटनीतिक सहयोग के नए द्वार खोलेंगे।
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