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मानसून का स्वागत करें, लेकिन सावधानी के साथ

डॉ. रिपुंजय सिंह

जयपुरJun 08, 2025 / 02:40 pm

Neeru Yadav

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 2025 के मानसून के लिए पूर्वानुमान जारी किया है, जिसमें देशभर में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना जताई गई है। दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 24 मई को केरल में दस्तक दी, जो सामान्य तिथि एक जून से आठ दिन पहले है। यह पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी हुई मानसून की शुरुआत है । भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार वर्षा का पूर्वानुमान है कि, जून से सितंबर 2025 के बीच देशभर में औसत से अधिक वर्षा (105 प्रतिशत ) की संभावना है। पूर्वानुमान के अनुसार, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना है, जबकि उत्तर-पश्चिम भारत, पूर्वोत्तर भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है। राजस्थान में मई 2025 के दौरान सामान्य से अधिक गर्मी की लहरों की संभावना है, विशेषकर जयपुर और आसपास के क्षेत्रों में। हालांकि, मानसून के समय से पहले आगमन से गर्मी में राहत मिलने की उम्मीद है।
मानसून भारत में न केवल कृषि का आधार है, बल्कि जीवन की गति भी इस पर निर्भर करती है। परंतु मानसून के आगमन से पूर्व का समय, जिसे प्री-मानसून अवधि कहा जाता है, अत्यंत संवेदनशील और परिवर्तनशील होता है। इस दौरान आंधी, तूफान, तेज बारिश, बिजली गिरना और कई बार असमय बाढ़ जैसी घटनाएं आम होती हैं। ऐसे में पहले से की गई तैयारियां और सावधानियां बहुत आवश्यक हो जाती हैं।
मानसून भारत में जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक ऋतु है, किंतुु यह कई प्रकार की चुनौतियां भी साथ लाता है, जैसे जलभराव, बीमारी, बिजली दुर्घटनाएं, यातायात बाधाएं आदि। इन समस्याओं का सामना करने के लिए न केवल प्रशासन, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति, परिवार और आवासीय समुदाय की जिम्मेदारी बनती है कि वे मानसून के आगमन से पहले ही आवश्यक तैयारी कर लें। सामूहिक और व्यक्तिगत सतर्कता ही मानसून को एक सुरक्षित अनुभव बना सकती है।
प्री-मानसून अवधि में वातावरण में आर्द्रता बढ़ जाती है, तेज हवाएं और गरज-चमक के साथ वर्षा होती है। यह मौसम अचानक बदल सकता है। इस दौरान रोगजनक बैक्टीरिया भी अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जिससे जलजनित बीमारियां बढ़ जाती हैं। इसलिए, यह समय सचेत रहने का होता है।
इन स्थितियों से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन, नगर निगम, नगर पालिका, ग्राम पंचायत की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है। यदि समय रहते आवश्यक सावधानियां और तैयारियां कर ली जाएं, तो मानसून के दुष्प्रभावों को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
प्री-मानसून सावधानियां केवल आपदा से सुरक्षा का उपाय नहीं, बल्कि जीवन के प्रति हमारी सजगता का प्रमाण हैं। यदि हम समय रहते सही तैयारी कर लें तो मानसून का आनंद बिना किसी भय के लिया जा सकता है। जागरूक नागरिक, सक्षम प्रशासन और मजबूत सामुदायिक सहभागिता मिलकर किसी भी चुनौती को अवसर में बदल सकती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार को मानसून के आने से पहले ही सावधानियां और तैयारियां करनी होती हैं। यही पूर्व-मानसून सावधानियां आपदा प्रबंधन का एक अहम हिस्सा होती हैं।
प्री-मानसून सावधानियों के उद्देश्य के तहत सरकार का उद्देश्य मानसून के दौरान संभावित खतरों को न्यूनतम करना, जनजीवन को व्यवस्थित बनाए रखना और किसी भी आपातकालीन स्थिति में त्वरित सहायता प्रदान करना होता है। इसके लिए विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समन्वय और समयबद्ध कार्रवाई अनिवार्य है, जिसमें नगर निगम और नगर पालिका विभाग द्वारा शहरों और कस्बों में सीवर, ड्रेनेज , मेनहोल, नालियों और वर्षा जल निकासी की समयपूर्व सफाई की जाती है ताकि बारिश के समय जलभराव की स्थिति न बने। लोक निर्माण विभाग द्वारा क्षतिग्रस्त सडक़ों, पुलों और रेलवे अंडरपास की मरम्मत मानसून से पहले की जाती है ताकि यातायात सुचारू रहे।
नालियों और जल निकासी व्यवस्था की सफाई जरूरी है जिससे सबसे पहला कार्य होता है शहर, कस्बों और गांवों की संपूर्ण नालियों, सीवर और ड्रेनेज लाइनों की सफाई करना। अवरुद्ध जल निकासी से जलभराव की स्थिति बनती है जिससे नागरिकों को भारी असुविधा होती है। मानसून से पहले कम से कम दो बार नालियों की मशीन से सफाई की जानी चाहिए।
कचरा प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना जरूरी है, क्योंकि वर्षा के मौसम में ठोस और तरल कचरा नालियों को जाम कर सकता है, इसलिए डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और त्वरित निस्तारण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। प्लास्टिक, पॉलीथीन आदि को गलियों व नालियों में फेंकने से रोकने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाना चाहिए। सफाई कर्मचारियों को रेनकोट, बूट, दस्ताने जैसे सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाएं।
पेड़ों की छंटाई और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए तूफान और तेज हवाओं से दुर्घटनाएं रोकने के लिए खतरनाक पेड़ों की छंटाई करना आवश्यक है। ट्रैफिक विभाग के साथ मिलकर ट्रैफिक मैनेजमेंट की विशेष योजना बनाई जाए।
स्वास्थ्य विभाग की तैयारी के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी अस्पतालों में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, टायफाइड जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए पर्याप्त दवाइयां, कर्मचारी और टेस्ट किट उपलब्ध कराए जाते हैं। एंटी मच्छर अभियान, जिसमें फोगिंग, मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने का अभियान चलाया जाता है।
आपदा प्रबंधन तंत्र की सक्रियता से राज्य और जिला स्तरीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सचेत रखा जाता है। राहत शिविरों की व्यवस्था, नावों, जीवन रक्षक उपकरणों और बचाव दलों की तैयारी सुनिश्चित की जाती है। मौसम विभाग के सहयोग से संभावित भारी बारिश या तूफान की पूर्व जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाती है। स्थानीय निकायों को बाढ़ संभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां राहत शिविर, नाव, पानी की टंकियाँ और जीवन रक्षक उपकरण उपलब्ध कराने की योजना बनानी चाहिए।
स्कूलों और संस्थानों में शिक्षा विभाग के सहयोग से आपातकालीन निकासी अभ्यास और चेतावनी संबंधी दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं। जनजागरूकता और सामुदायिक भागीदारी भी आवश्यक है जिसमें नागरिकों को चेतावनी, सलाह और सूचना देने के लिए पोस्टर, सोशल मीडिया, पब्लिक अनाउंसमेंट का सहारा लेना चाहिए। जनरेटर, लिफ्ट, सीसीटीवी, जल टंकी आदि की जांच और मरम्मत मानसून से पहले कर ली जाए। सीवेज पंपिंग सिस्टम को क्रियाशील रखें। वाहन पार्किंग की ऐसी व्यवस्था करें, जिससे जलभराव या फिसलन से नुकसान न हो। स्थानीय प्रशासन और अस्पतालों के नंबर सभी सदस्यों के साथ साझा किए जाएं
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष सावधानियां जरूरी है जिसमें सिंचाई विभाग द्वारा जलाशयों और नहरों की जांच व साफ-सफाई की जाती है।कृषि विभाग किसानों को मानसून पूर्व फसल योजना और भंडारण के निर्देश देता है व पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं के लिए शरण स्थल और दवाइयों की व्यवस्था की जाती है। किसानों को चाहिए कि वे मानसून पूर्व अपनी खेती की पिलाई, भंडारण और खेतों की जल निकासी व्यवस्था कर लें। बीज और उर्वरक सूखी जगह रखें तथा पशुओं के लिए भी सुरक्षित स्थान सुनिश्चित करें। घर के आस पास वर्षा जल जमा न होने दें।
घर और परिवार के लिए सावधानियां करनी आवश्यक हो जाती है, जिससे घर की मरम्मत, छतों में लीकेज, खिड़कियों के टूटे कांच, जल निकासी की नालियों की सफाई समय रहते कर लेनी चाहिए, बिजली से सुरक्षा जैसे खुले तार, ट्रांसफॉर्मर या बिजली के खंभों के पास जाने से बचें। पेयजल की सुरक्षा के लिए स्वच्छ पानी का भंडारण करें और उबालकर या फिल्टर करके ही सेवन करें। आपातकालीन सामग्री का संग्रह जैसे प्राथमिक चिकित्सा किट, आवश्यक दवाइयों, टॉर्च, बैटरियों, दस्तावेजों सूखा भोजन, छाता, रेनकोट आदि को सुरक्षित रखें।
सामुदायिक और सामाजिक स्तर पर सावधानियों के तहत नालियों और सडक़ों की सफाई, सामूहिक भागीदारी से जलभराव की रोकथाम की जा सकती है। जागरूकता अभियान से स्थानीय निकायों को लोगों को शिक्षित करना चाहिए कि क्या करें और क्या न करें, बच्चों और बुज़ुर्गों की देखभाल, विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है क्योंकि ये अधिक संवेदनशील होते हैं। गार्डन और पार्कों में जल भराव न हो इसके लिए समुचित जल निकासी प्रणाली बनाई जाए।
प्रशासनिक तैयारियां भी आवश्यक हैं, जिसमें आपदा प्रबंधन दल, हर जिले में राहत कार्यों के लिए तैयार रहना होगा। सूचना तंत्र हेल्पलाइन नंबर और कंट्रोल रूम सक्रिय रहने चाहिए, ताकि आपात स्थिति में त्वरित सहायता मिल सके।
सरकारी तंत्र के सामने अनेक चुनौतियां हैं, जिसमें सीमित संसाधन और बढ़ती जनसंख्या, शहरी क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण और अवैध कब्जे, जनजागरूकता की कमी, अंतर्विभागीय समन्वय की कमी है। इन चुनौतियों के बावजूद समय पर योजना और नागरिक सहयोग से नुकसान को कम किया जा सकता है। सरकार द्वारा की जाने वाली प्री-मानसून सावधानियां केवल प्रशासनिक दायित्व नहीं, बल्कि जन सुरक्षा की बुनियाद होती हैं। एक सजग शासन, सक्षम प्रशासन और जागरूक नागरिक मिलकर प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं। मानसून से पहले की गई छोटी-छोटी तैयारियां बड़े संकटों से बचाने में सक्षम होती हैं।
मानसून से पहले यदि प्रत्येक व्यक्ति, परिवार और आवासीय समुदाय मिलकर कुछ छोटे-छोटे सावधानीपूर्ण कदम उठाए, तो बड़ी आपदाओं से बचा जा सकता है। मानसून एक प्राकृतिक उपहार है, लेकिन यह उपहार तभी सुखद अनुभव बनता है जब हम उसके लिए सजग और तैयार हों। नागरिकों की सतर्कता और समुदाय की भागीदारी ही सुरक्षित, स्वस्थ और व्यवस्थित मानसून की कुंजी है।

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