scriptOpinion : निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों के खारिज होने के बड़े मायने | Opinion: The rejection of the allegations of India's involvement in Nijjar's murder has big implications | Patrika News
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Opinion : निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों के खारिज होने के बड़े मायने

कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों के खारिज होने के बड़े मायने हैं। भले ही इस प्रकरण में दुनिया भारत को संदेह की दृष्टि से नहीं देख रही थी, फिर भी कनाडा के इस्तीफा दे चुके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को […]

जयपुरJan 31, 2025 / 09:52 pm

Hari Om Panjwani

कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों के खारिज होने के बड़े मायने हैं। भले ही इस प्रकरण में दुनिया भारत को संदेह की दृष्टि से नहीं देख रही थी, फिर भी कनाडा के इस्तीफा दे चुके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को दागदार बनाने और उसे कठघरे में खड़ा करने की लगातार कुचेष्टा करते आ रहे थे। अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन का भी समर्थन दिखाई दे रहा था। अब जब कनाडा के ही सार्वजनिक जांच आयोग ने निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है तो जस्टिन ट्रुडो की भारत को बदनाम करने की साजिश बेनकाब हो गई है।
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि निज्जर की हत्या में किसी दूसरे देश का कोई संबंध नहीं है। जबकि पिछले एक-डेढ़ साल से जस्टिन ट्रुडो और वहां की सरकार ने भारत के खिलाफ इस मुद्दे को लेकर शीत युद्ध छेड़ा हुआ था। आयोग की क्लीन चिट के दो मायने हैं। भारत के संदर्भ में तो यह कि अब किसी को भी शक की गुंजाइश नहीं रहेगी। वहीं कनाडा के संदर्भ में इसके मायने यह है कि दुनिया को पता लग गया कि कनाडा, भारत के प्रति दुर्भावना रखता रहा है और उसकी हर हरकत के पीछे की मंशा राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति करने की रही है।
कनाडा की धरती पर खालिस्तानियों का पोषण और उन्हें संरक्षण कौन दे रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है। कनाडा की भारत के प्रति दुर्भावना का अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि भारत से पढऩे के लिए कनाडा जाने वाले विद्यार्थियों के स्टडी वीजा की संख्या में चालीस प्रतिशत तक की कटौती कर दी गई। कई लोगों को अमरीका की सीमा पर बंदी बना दिया। जाहिर है कि ट्रुडो ने अपने निजी राजनीतिक स्वार्थ के लिए दोनों देशों के बीच के राजनयिक, व्यावसायिक, शैक्षिक और व्यापारिक रिश्ते बिगाड़ दिए, लेकिन चुनाव में वहां की जनता ने ही सबक सिखा दिया। इस क्लीन चिट के बावजूद यह मानना भूल ही होगी कि भारत के लिए अब सब-कुछ सही हो गया है। कनाडा का रवैया अभी नहीं बदला है। रिश्ते सुधारने का सही रास्ता यही होता कि कनाडा की ओर से आधिकारिक तौर पर भारत से माफी मांगी जाती। कनाडा ने ऐसा नहीं किया। उल्टे भारत पर कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप के नए बेबुनियाद आरोप लगा दिए। सरकार को इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करा कनाडा को अनर्गल बयानबाजी न करने के लिए कहना होगा।

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