Patrika Opinion : ज्ञान की रोशनी से मिटेगा आतंक का अंधकार
अमरीका में इस बार नए साल के आगमन के उत्साह को आतंक की काली छाया ने धूमिल कर दिया। ऐसे समय जब दुनिया बीते दिनों की कठिनाइयों को पीछे छोड़कर जीवन को नए तरीके से शुरू करने का संकल्प लेती है, अमरीका के लुसियाना प्रांत के न्यू ऑरलियन्स शहर में नरसंहार पर आमादा एक आतंकी […]
अमरीका में इस बार नए साल के आगमन के उत्साह को आतंक की काली छाया ने धूमिल कर दिया। ऐसे समय जब दुनिया बीते दिनों की कठिनाइयों को पीछे छोड़कर जीवन को नए तरीके से शुरू करने का संकल्प लेती है, अमरीका के लुसियाना प्रांत के न्यू ऑरलियन्स शहर में नरसंहार पर आमादा एक आतंकी ने जश्न मना रहे लोगों तो ट्रक से रौंद दिया। आतंकी संगठन आइएसआइएस से प्रभावित सिरफिरा ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारना चाहता था। जब तक पुलिस हरकत में आती, उसने 15 लोगों की जान ले ली और 35 से ज्यादा अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रहे हैं। यह घटना भले ही अमरीका में हुई हो लेकिन, इसने दुनिया को संकेत दिया है कि आतंक को समाप्त करने और मानवता की सुरक्षा के लिए नए साल में हमें ज्यादा प्रतिबद्धता और एकजुटता के साथ सामने आना होगा। इस वारदात ने हमें एक नागरिक, एक समाज और एक सरकार के रूप में अपनी-अपनी जिम्मेदारियों पर पुनर्विचार करने का अवसर दिया है।
हाल के वर्षों में दुनिया के ज्यादातर देशों में धार्मिक कट्टरता बढ़ी है। कट्टरता चाहे धार्मिक हो या किसी अन्य बात की, अपने विरोधियों के साथ उसका उभयनिष्ठ संबंध होता है। यानी एक तरह की कट्टरता दूसरे तरह की कट्टरता को आगे बढ़ाती है । परिणामस्वरूप विभिन्न देशों में रूढि़वाद के कट्टर समर्थक सत्ता पर आसीन होते गए हैं। अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की जीत को भी इसी रूप में देखा जा रहा है। किसी भी देश में चुनाव राजनेताओं के लिए अपनी जनता को शिक्षित करने का अवसर होता है। लेकिन, हम यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि डॉनल्ड ट्रंप अपने देश की जनता को पहले के मुकाबले ज्यादा समझदार बनाकर चुनाव जीते हैं। यदि ऐसा हुआ होता तो 42 साल का पूर्व सैनिक शमसुद्दीन जब्बर, जिसने अपनी जान की परवाह न करते हुए अफगानिस्तान में अमरीका की ओर से इस्लामिक कट्टरपंथियों का मुकाबला किया था, खुद इस्लामिक रूढि़वादियों से प्रेरित होकर आतंकी नहीं बनता और ट्रक लेकर हिंसक पागलपन पर उतारू नहीं हो जाता। न सिर्फ अमरीका बल्कि पूरी दुनिया में रूढि़वादियों और उदारवादियों के बीच जीवंत संघर्ष चल रहा है। दुनिया का भविष्य मानवता को हर तरह की जंजीरों से मुक्त करने में ही है, उसे बांधने में नहीं।
दरअसल, समस्याओं का समाधान दूर नजर आता है तो अज्ञान का अंधकार हमें पीछे लौटने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन हम उम्मीद कर सकते हैं कि आतंक के रास्ते से जीवन की समस्याओं का समाधान खोजने वालों को ज्ञान की रोशनी मिलेगी और वे अहिंसा के रास्ते पर आगे बढेंग़े।
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