scriptयुद्ध में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी की चुनौती | The challenge of safe return of Indians trapped in the war | Patrika News
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युद्ध में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी की चुनौती

ईरान और इजरायल के बीच युद्ध से बढ़ रहे तनाव ने दुनियाभर में चिंता की लहर दौड़ा दी है। भारत के लिए यह माहौल चुनौती वाला है क्योंकि उसे ईरान में फंसे 10 हजार से अधिक भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लौटाना है। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय का यह आश्वासन संतोषजनक है कि वहां फंसे भारतीयों […]

जयपुरJun 18, 2025 / 10:32 pm

ANUJ SHARMA

ईरान और इजरायल के बीच युद्ध से बढ़ रहे तनाव ने दुनियाभर में चिंता की लहर दौड़ा दी है। भारत के लिए यह माहौल चुनौती वाला है क्योंकि उसे ईरान में फंसे 10 हजार से अधिक भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लौटाना है। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय का यह आश्वासन संतोषजनक है कि वहां फंसे भारतीयों को निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बुधवार को कुछ भारतीयों को ईरान से निकाला भी गया है। ईरान में फंसे भारतीयों में अधिकतर वे विद्यार्थी हैं जो वहां विभिन्न विश्वविद्यालयों में चिकित्सा, प्रबंधन एवं तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से करीब डेढ़ हजार विद्यार्थी तो अकेले जम्मू-कश्मीर के हैं। अन्य देशों के मुकाबले किफायती शिक्षा और समान सांस्कृतिक परिवेश के कारण ये ईरान का रुख करते हैं।
अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और इजरायल की चेतावनी के बाद ईरान में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। ईरान के लोग भी सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन कर रहे हैं। वहां खाने-पीने और दवाओं की कमी का डर भी सता रहा है। ऐसे में परदेश में रह रहे भारतीय विद्यार्थी भी दहशत में हैं। संतोष इस बात का है कि वर्तमान हालात को देखते हुए भारत सरकार ने बहुस्तरीय रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने आर्मेनिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के नेताओं से भी बात की है। हवाई मार्ग अस्थायी रूप से बंद होने के चलते जमीनी सीमाओं से निकासी को प्राथमिकता दी जा रही है। तेहरान सहित अन्य शहरों से करीब 700 से अधिक विद्यार्थियों को बसों से आर्मेनिया की सीमा पर पहुंचाया गया है। भारतीय दूतावास भी हालात पर नजर रखे हुए हैं और लगातार निर्देश दे रहा है। यही कारण है कि भारतीय तेजी से तेहरान से निकल रहे हैं।
भारत पहले भी कई देशों से युद्ध के दौरान अपने नागरिकों के साथ-साथ पड़ोसी देशों के नागरिकों को भी निकाल चुका है। ऐसे हालत में मानवीय संवेदनशीलता का इससे बड़ा उदाहरण कोई नहीं हो सकता। भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान ऑपरेशन गंगा चलाकर हजारों भारतीयों को निकाला था। उस समय पड़ोसी देश हंगरी, रोमानिया, पोलैंड, स्लोवाकिया और माल्दोवा से भारतीय उड़ानें बिना किसी बाधा के संचालित हुई थी लेकिन इस बार हवाई क्षेत्र के प्रतिबंध और कूटनीतिक संवेदनशीलता ने ऑपरेशन ईरान को अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। ईरान के पड़ोसी अफगानिस्तान और पाकिस्तान बड़ी चुनौती है। पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र बंद है व सड़क मार्ग का इस्तेमाल असंभव है। अफगानिस्तान से संबंध बेहतर हैं, लेकिन वहां लॉजिस्टिक चुनौती बनी हुई है। भारत के पास निकासी के विकल्प सीमित हैं। फिर भी भारतीय वायुसेना इस ऑपरेशन के लिए भी तैयार है, बस सरकार के आदेश का इंतजार है। साफ है कि भारत के लिए अपने नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ईरान में फंसा हर भारतीय सकुशल अपने देश लौट सकेगा।

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