scriptदवा मूल्य नियमन पर ट्रंप का दांव सिर्फ हवाबाजी | Trump's bet on drug price regulation is just hot air | Patrika News
ओपिनियन

दवा मूल्य नियमन पर ट्रंप का दांव सिर्फ हवाबाजी

डॉ. विनीत प्रकाश एसोसिएट प्रोफेसर, यूएस स्टडीज, जेएनयू, नई दिल्ली

जयपुरMay 26, 2025 / 07:09 pm

Sanjeev Mathur

अमरीका में दवाओं की ऊंची कीमतें लंबे समय से राजनीतिक विमर्श का हिस्सा रही हैं और रिपब्लिकन और डेमोक्रेट- दोनों दलों के लिए प्रमुख चुनावी मुद्दा भी। आम अमरीकी उपभोक्ता अन्य विकसित देशों के नागरिकों की तुलना में दवाओं के लिए दो से तीन गुना अधिक कीमत चुकाते हैं। इस स्थिति को सुधारने और अमरीकी उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने इरादे से राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जो अमरीकी दवा बाजार में बदलाव लाने की मंशा के साथ सामने आया है। इस आदेश से फार्मा कंपनियों से कहा गया है कि वे 30 दिनों के भीतर अमरीकी बाजार में बिकने वाली दवाओं की कीमतें स्वेच्छा से कम करें अन्यथा सरकार द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, इस आदेश में इस नीति को लागू करने के लिए कोई कानूनी प्रावधान शामिल नहीं है। अमरीका में स्वास्थ्य सेवा निजी और अत्यधिक महंगी है। यह अमरीकी राजनीति का बेहद संवेदनशील मुद्दा भी है। अधिकांश लोग इसके लिए स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का सहारा लेते हैं।
रिपब्लिकन तथा डेमोक्रेट दोनों इस स्थिति को सुधारना तो चाहते हैं, लेकिन उनमें इसके समाधान को लेकर सहमति नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप अमरीकी बाजार में दवाओं की ऊंची कीमतों पर लगातार चिंता व्यक्त करते रहे हैं। उनका तर्क है कि अमरीकी उपभोक्ता यूरोपीय संघ जैसे अन्य धनी देशों की तुलना में समान दवाओं के लिए अधिक कीमत चुका रहे हैं और अमरीकी उपभोक्ताओं से वसूला गया यह पैसा वैश्विक बाजारों में दवाओं की लागत पर सब्सिडी देने के लिए उपयोग किया जा रहा है। यह सत्य है कि अमरीकी दूसरे धनी देशों के मुकाबले दवाओं के लिए अधिक भुगतान कर रहे हैं, लेकिन इन देशों में दवाओं के सस्ता होने का कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज है। यूरोपीय देशों जैसे विकसित राष्ट्रों की सरकारें इस कारण फार्मा कंपनियों से मोलभाव करने में सक्षम हैं। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में और पूर्व राष्ट्रपति बाइडन ने भी मेडिकेयर के तहत उपलब्ध दवाओं की कीमतें कम करने की कोशिश की थी। उसकी तुलना में वर्तमान कार्यकारी आदेश अमरीकी बाजार में बिकने वाली दवाओं की कीमतों में समग्र कमी लाने का प्रयास है।
इस आदेश की सबसे महत्त्वपूर्ण बात इसकी स्वैच्छिक प्रकृति है। फार्मा कंपनियों से स्वेच्छा से कीमतें कम करने की अपेक्षा की गई है। आदेश में यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कानूनी उपबंध नहीं है कि कीमतें वास्तव में कम हों। इसे कांग्रेस द्वारा पारित कानून में शामिल करने का प्रयास किया गया था, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। बिना किसी कानूनी ढांचे के, व्यावहारिक रूप से असंभव है कि कंपनियां अमरीकी बाजार में वास्तव में दवाओं की कीमतें कम करेंगी। डॉनल्ड ट्रंप चाहते हैं कि फार्मा कंपनियां यूरोपीय संघ जैसे वैश्विक बाजारों में दवाओं की कीमतें बढ़ाएं और वहां से अर्जित लाभ का उपयोग अमरीका में दवाओं की कीमतें कम करने के लिए करें। वह कानूनी ढांचे की कमी को ऐसे बाजारों से आने वाले सामानों पर टैरिफ लगाने की धमकी के साथ समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने वैश्विक बाजारों में दवाओं की कीमतें तय करने में ‘सबसे पसंदीदा राष्ट्र’ के सिद्धांत का पालन सुनिश्चित करने का विचार भी प्रस्तुत किया है।
वास्तविकता यह है कि अमरीकी सरकार अन्य बाजारों में बिकने वाली दवाओं की लागत के बारे में ज्यादा कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं है। आयातित दवाओं पर टैरिफ लगाने की धमकी भी शायद ही काम करे। कीमतें कम करने के बजाय यह कीमतों को और बढ़ा देगा, क्योंकि कंपनियां टैरिफ की लागत को उपभोक्ताओं पर थोप देंगी। एक उत्पाद पर शुल्क लगाकर दूसरे उत्पाद की कीमत कम करने का विचार वस्तुत: दूर की कौड़ी है। मूल रूप से, यह एक नख-दंतविहीन आदेश है। अमरीकी फार्मा कंपनियां इस आदेश की नरम और स्वैच्छिक प्रकृति को देखकर बहुत राहत महसूस कर रही हैं। वे तो वास्तव में किन्हीं दंडात्मक प्रावधानों की अपेक्षा कर रही थीं। इस राहत का असर अमरीकी बाजारों में अधिकांश फार्मा कंपनियों के शेयर कीमतों में वृद्धि के रूप में दिखाई दिया। चूंकि इस आदेश में दवाओं की कीमतें कम करने की कोई बाध्यता नहीं है, इसलिए यह अमरीकी बाजार में दवाओं की कीमतों पर कोई महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालने की संभावना नहीं रखता। अमरीकी बाजार में निर्यात करने वाली फार्मा कंपनियां इस मुद्दे पर बारीकी से नजर रख रही हैं, इनमें अनेक भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। 
दवा कीमतों का नियंत्रण या दंडात्मक शुल्क लगाने का कोई भी प्रयास उनके व्यवसाय की संभावनाओं के प्रतिकूल होगा। हालांकि, यह मुद्दा अमरीकी मतदाताओं के दिमाग से जल्दी मिटने वाला नहीं है, क्योंकि यह डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों को छूता है। शायद इसी कारण ट्रंप प्रशासन दवा कीमतों के इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर कुछ करता हुआ दिखना चाहता था। ऐसा लगता है कि ट्रंप प्रशासन इस आदेश के साथ तेल की धार देख रहा है और इसके नतीजों को देखकर ही आगे के लिए दंडात्मक उपाय तय कर सकता है। संभवतया इसे कानून बनाने के लिए अमरीकी कांग्रेस के माध्यम से भी प्रयास किए जाएं। हालांकि, दवा मूल्य नियमन के लिए अमरीकी कांग्रेस के माध्यम से कानून पारित करना आसान नहीं होगा। अमरीका चूंकि एक मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था है, इसलिए वहां सरकार द्वारा कीमतों के नियमन के प्रति एक स्वाभाविक अरूचि है। इसलिए कांग्रेस से ऐसा कानून पारित होने की संभावना बहुत कम है। संक्षेप में, इस आदेश का इरादा मात्र भौंक कर ही फार्मा कंपनियों को डराना है, काटकर नहीं।

Hindi News / Opinion / दवा मूल्य नियमन पर ट्रंप का दांव सिर्फ हवाबाजी

ट्रेंडिंग वीडियो