scriptघंटों बर्फीले पानी में तैरना, पैरों के सुन्न पड़ने तक दौड़ना… नेशनल गेम्‍स में दोहरे स्वर्ण पदक विजेता अथौबा की सफलता की कहानी | Sarungbam Athouba Meitei a double gold medalist at the National Games worked hard for success | Patrika News
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घंटों बर्फीले पानी में तैरना, पैरों के सुन्न पड़ने तक दौड़ना… नेशनल गेम्‍स में दोहरे स्वर्ण पदक विजेता अथौबा की सफलता की कहानी

National Games: 38वें राष्ट्रीय खेलों में 17 वर्षीय सरुंगबाम अथौबा मैतेई ने मणिपुर को दोहरे स्वर्ण पदक दिलाए हैं। अथौबा ने पुरुषों की व्यक्तिगत ट्रायथलॉन में खेलों का पहला स्वर्ण जीता और उसके बाद पुरुषों की व्यक्तिगत डुएथलॉन में दूसरा स्वर्ण अपने नाम किया।

भारतFeb 05, 2025 / 08:27 am

lokesh verma

38th National Games: मणिपुर के दोहरे स्वर्ण पदक विजेता एथलीट 17 वर्षीय सरुंगबाम अथौबा मैतेई ने देहरादून में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों में अपनी दोहरी सफलता पर कहा कि ‘यह अप्रत्याशित था’। इम्फाल के एक छोटे से इलाके सिंगजामेई चिंगमाथक के इस युवा खिलाड़ी को अब तक यकीन ही नहीं हो रहा है कि उन्होंने कितनी बड़ी उपलिब्ध हासिल की है। अथौबा ने पुरुषों की व्यक्तिगत ट्रायथलॉन में खेलों का पहला स्वर्ण जीता और उसके बाद पुरुषों की व्यक्तिगत डुएथलॉन में दूसरा स्वर्ण अपने नाम किया।

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‘मेरी मेहनत सफल हो गई’

अथौबा ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यहां पदक जीतूंगा। मैंने यह मुकाम हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है। घंटों बर्फ से ठंडे पानी में तैरता रहता था, पहाड़ी रास्तों पर साइक्लिंग करता और तब तक दौड़ता रहता जब तक कि मेरे पैर सुन्न ना पड़ जाएं, लेकिन जब ये पदक मुझे पहनाए गए तो लगा जैसे मेरी मेहनत सफल हो गई।

फुटबॉलर पिता से मिला पूरा सपोर्ट

अथौबा के पिता सरुंगबाम जितेन मैतेई एक ठेकेदार का काम करते हैं और कॉलेज स्तर के फुटबॉलर रहे हैं। उन्होंने हमेशा अपने बेटे को खेलों में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। अथौबा ने कहा, मेरे माता-पिता ने हर कदम पर मेरा साथ दिया। वे मुझे नियमित रूप से ट्रेनिंग के लिए लेकर जाते थे और हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते थे।

बड़ी बहन हैं तैराक

अथौबा की बड़ी बहन सरुंगबाम मार्टिना राष्ट्रीय स्तर की तैराक हैं। मार्टिना ने अपने छोटे भाई को तैराकी के गुर सिखाए। अथौबा ने कहा, ट्रायथलॉन के लिए मेरे पिता ने ही मुझे प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, तुम तैराक अच्छे हो इसलिए ट्रायथलॉन में भाग्य आजमाओ। साइक्लिंग का अभ्यास करो। अथौबा ने कहा, मेरे पिता खेलों के लिए नहीं आए क्योंकि उन्होंने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ तो वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे, लेकिन वह चाहते थे कि मैं इतिहास बनाऊं।

पदक जीता तो मां रोने लगीं

अथौबा ने बताया कि मेरी मां भी यहां मेरे साथ आई हैं। जब मैंने पदक जीता तो वे रोने लगीं। मैंने पदक जीतने के बाद पापा को फोन किया तो वे बोले अभी तुम्हारी तैराकी स्पर्धा बाकी है, उस पर फोकस करो। अथौबा तैराकी में 200 मीटर व्यक्तिगत मेडले रिले में भी हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे में उनके पास पदकों की हैट्रिक बनाने का भी मौका है।

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