वर्ष 2003 में दिए थे बांध
सरकार की ओर से 13 फरवरी 2001 व 30 जून 2003 के तहत 80 हेक्टेयर के 2191 बांध व तालाब तथा 300 हेक्टेयर तक के 1045 बांध व तालाब पंचायती राज संस्थाओं को दिए गए थे। उस समय इन बांधों पर कार्यरत कार्मिक भी पंचायतीराज में गए थे। अब बांधों को वापस सिंचाई विभाग में लेने पर वे कार्मिक भी सिंचाई विभाग में आ जाएंगे। जो उनका पैतृक विभाग है।यह लिखा है हस्तांतरण प्रमाण पत्र में
बांध या तालाब का नाम, गांव, ग्राम पंचायत व पंचायत समिति का नाम, तहसील व जिले का नाम हस्तांतरण प्रमाण पत्र में लिखा है। इसके साथ ही अक्षांश व देशांतर, सिंचित क्षेत्र, भराव क्षमता, मुख्य नहर की लंबाई, मिट्टी के पाल की स्थिति, डूब क्षेत्र में सिल्ट भराव की स्थिति, स्पिलवे, स्लयूजकी स्थिति व नहरी तंत्र के हालात अंकित कर प्रमाण पत्र देना होगा। दस साल की जल आवक भी बतानी होगी।सिंचाई विभाग के समक्ष आएगा संकट
पंचायतीराज संस्थाओं के बांधों का सिंचाई विभाग के एक्सईएन व पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों की ओर से भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद उसी हालात में बांध हस्तांतरित होंगे। यह कार्य 15 मई तक किया जाना प्रस्तावित है, जिससे मानसून आने से पहले बांधों व तालाबों का रखरखाव किया जा सके। संकट यह है कि मानसून आने में समय कम रह जाएगा। ऐसे में रखरखाव मुश्किल से होगा।तैयारी की जा रही है
सरकार से पंचायतीराज संस्थाओं के बांध हस्तारण के आदेश हो गए हैं। उसके लिए विभाग की ओर से तैयारी की जा रही है।रामनारायण चौधरी, अधीक्षण अभियंता, सिंचाई विभाग, पाली