केस दो राकेश अखावत ने फैक्ट्री में 240 केवीए का सोलर प्लांट लगाया है। इससे हर माह 7140 रुपए की रोजाना बचत होती है। इस तरह हर माह करीब 2 लाख 60 हजार रुपए की बिजली का खर्च कम हो गया।
केस तीन एसपी चौपड़ा ने 250 किलोवाट का सोलर प्लांट लगवाया। इससे उनको हर महीने 2 लाख रुपए से अधिक का बिजली बिल कम अदा करना पड़ रहा है। टेक्सटाइल उद्योग के हर यूनिट में बिजली का उपयोग होता है। उसका बिल भी लाखों रुपए में आता है। जिसका तोड़ उद्यमियाें सोलर ऊर्जा के रूप में निकाला। इससे उद्यमियों के हर माह एक से दो लाख रुपए से भी अधिक की राशि बच रही है। उस राशि का उपयोग पाली के उद्यमी इंडस्ट्री को बढ़ाने के साथ पर्यावरण संरक्षण व अन्य कार्यों में कर रहे हैं। इससे प्रेरित होकर शहर के पुनायता, मंडिया रोड तथा औद्योगिक क्षेत्र चतुर्थ चरण की इकाइयों में 200 से अधिक उद्यमी सोलर प्लांट लगवा चुके हैं। जबकि कई इकाइयों में प्लांट लगाने की प्रक्रिया चल रही है।
इस तरह समझें लाभ
एक औद्योगिक इकाई में 230-240 किलोवाट का प्लांट लगाने पर करीब 72-73 लाख रुपए का खर्च आता है। उससे रोजाना करीब 920 से 960 यूनिट तक बिजली बनती है। एक यूनिट की राशि 7 रुपए से अधिक है। इस तरह उद्यमी को रोजाना 6500 से 7000 रुपए से अधिक लाभ होता है। जो माह में करीब 2 लाख रुपए से अधिक होता है। प्लांट लगाने पर खर्च राशि के एक माह का ब्याज करीब 72 हजार रुपए हो तो हर माह 1 लाख 28 हजार रुपए बिजली बिल के बचते हैं।
टॉपिक एक्सपर्ट
सोलर ग्रीन व क्लीन एनर्जी सोलर प्लांट लगाने वाले ग्रीन एनर्जी में भागीदारी निभा रहे हैं। थर्मल एनर्जी में पानी, कोयला आदि का उपयोग नहीं होता है। इससे पॉल्युशन भी नहीं होता है। सोलर एनर्जी ग्रीन व क्लीन है। सोलर प्लांट लगाना विश्व के लिए भी बेहतर है। इंडस्ट्री का बिल भी कम हो जाता है। इससे बिजली की मांग भी पूरी करने में सहायता मिलती है। अजय माथुर, एसई, डिस्कॉम, पाली उद्यमियों के अनुसार इन समस्याओं का होना चाहिए समाधान, जिससे बढ़े रुझान -इंडस्ट्री क्षमता से 80 प्रतिशत यूनिट का ही प्लांट लगा सकते हैं। -फैक्ट्री बंद रहने पर पाॅवर फ्री चली जाती है। उसका उद्यमी को क्रेडिट नहीं मिलता है।
-उद्यमियों को अन्य जगह पर प्लांट लगाने लिए समान दर का लाभ नहीं मिलता है। इसमे ट्रांसपोर्ट कम करते हुए शेष लाभ उद्यमी को दिया जाना चाहिए।