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पटना

बिहार: महिला कॉलेज को मिला पुरुष प्रिसिंपल, साइंस कॉलेज में होम साइंस की प्रोफेसर बनी प्रिसिंपल

पटना विश्वविद्यालय के पांच कॉलेजों में लॉटरी सिस्टम के जरिए प्रिंसिपल की नियुक्ति के बाद विवाद शुरू हो गया है। यह विवाद महिला कॉलेज में पुरुष प्रिसिंपल और साइंस कॉलेज में होम साइंस के टीचर को प्रिंसिपल बनाने के बाद तुल पकड़ता जा रहा है।

पटनाJul 04, 2025 / 03:18 pm

Rajesh Kumar ojha

Patna University

पटना विश्वविद्यालय- फोटो Patna University FB

महिला कॉलेज को पुरुष प्रिसिंपल और होम साइंस की टीचर को कॉमर्स कॉलेज का कमान सौपे जाने के बाद बिहार में लॉटरी सिस्टम से प्रिसिंपल की नियुक्ति का मामला अब गहराता जा रहा है। अब इस नियुक्ति प्रक्रिया पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. कई लोग इसे गलत तो कई लोग इसे सही बता रहे हैं. यही कारण है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को खुद सफाई देनी पड़ रही है।

लॉटरी सिक्स्टयों पर क्यों हो रहा विवाद?

लॉटरी सिस्टम के जरिए पटना विश्वविद्यालय के पांच कॉलेजों में पहली बार प्रिंसिपल का चयन किया गया। इन कॉलेजों में प्रिंसिपल की नियुक्ति राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के निर्देश पर हुआ है। इसके पीछे की वजह लगातार शिकायतों का मिलना बताया गया है. इस प्रक्रिया से कॉलेजों में प्रिंसिपल की नियुक्ति की कथित गड़बड़ियों को रोका जा सके।
कॉलेजप्रिसिंपल
मगध महिला कॉलेजनागेंद्र प्रसाद वर्मा (इतिहास, जे.पी. विश्वविद्यालय, छपरा)
पटना साइंस कॉलेजअलका यादव (होम साइंस, महिला कॉलेज, हाजीपुर)
वाणिज्य महाविद्यालयसुहेली मेहता
पटना लॉ कॉलेजयोगेंद्र कुमार वर्मा
पटना कॉलेजअनिल कुमार (रसायन विज्ञान, यूपी स्थित कॉलेज)

लॉटरी सिस्टम को लेकर क्या बोले राज्यपाल?

प्रिंसिपल के लॉटरी सिस्टम से चयन पर राज्यपाल ने कहा कि पिछली बार नियुक्ति में कई तरह शिकायतें मिली थीं। इसी को देखते हुए ये सिस्टम अपनाया गया है। उन्होंने कहा कि ये पूरी पूरी प्रक्रिया तीन सदस्यीय कमेटी की देखरेख में हुई है। राज्यपाल के इस फैसले पर सीपीआई (एम) का कहना है कि होम साइंस के प्रोफेसर ह्यूमैनिटीज साइंस का डिपार्टमेंट कैसे संभाल सकते हैं। उन्होंने इसके साथ ही शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सरकार की शिक्षा को लेकर कोई प्राथमिकता नहीं है। इसपर जेडीयू ने बचाव करते हुए कहा कि “इस मुद्दे का बिल्कुल भी राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। यह निर्णय विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की तरफ से लिया गया है और राज्य सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है.”

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