इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए मंत्री ने तत्काल प्रभाव से शिक्षिका सविता मीणा को निलंबित करने के निर्देश दिए।
मोहल्ला बैठक के दौरान मिली शिकायत
यह घटना रविवार को मोड़क गांव में आयोजित मोहल्ला बैठक के दौरान उजागर हुई। जनसुनवाई में आयुषी ने शिक्षा मंत्री के समक्ष अपनी पीड़ा रखी। उसने बताया कि वह स्कूल में पढ़ाई में मेधावी है और उसके 70.40 प्रतिशत अंक होने के बावजूद शिक्षिका ने उसे फेल कर दिया। आयुषी के अनुसार, सविता मीणा का उसके चाचा के साथ स्कूल की लाइब्रेरी की किताबों को लेकर पुराना विवाद था। इसी रंजिश का बदला लेने के लिए शिक्षिका ने उसे निशाना बनाया। आयुषी ने अपनी शिकायत में कहा कि जब उसकी कॉपी की दोबारा जांच कराई गई, तो उसे सप्लीमेंट्री दी गई, जबकि उससे कमजोर प्रदर्शन करने वाले अन्य छात्रों को पास कर दिया गया।
स्कूल की कार्यप्रणाली भी कटघरे में
इस अन्याय ने आयुषी के भविष्य को खतरे में डाल दिया। उसकी शिकायत ने न केवल शिक्षिका के रवैये पर सवाल उठाए, बल्कि स्कूल प्रशासन की कार्यप्रणाली को भी कटघरे में खड़ा किया। मोहल्ला बैठक में मौजूद अधिकारियों से जानकारी लेने पर शिक्षा मंत्री को पता चला। शिक्षिका सविता मीणा के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें दर्ज थीं। उन्हें पहले एपीओ किया जा चुका था, लेकिन उन्होंने कोर्ट से स्टे ऑर्डर प्राप्त कर लिया था। इस बार मामले की गंभीरता को देखते हुए मंत्री मदन दिलावर ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि जो हो गया, वह हो गया, लेकिन इस शिक्षिका को मैं तत्काल निलंबित करता हूं। उनके इस फैसले की उपस्थित लोगों ने सराहना की। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस तरह के मामले भविष्य में न दोहराए जाएं और स्कूलों में पारदर्शिता व निष्पक्षता सुनिश्चित की जाए।