जानकारी के अनुसार, माफिया अतीक अहमद ने गौसपुर कटहुला इलाके में गरीब किसानों से जबरन जमीन लिखवाई थी, जो राजमिस्त्री हुबलाल के नाम पर थी। अतीक की मौत के बाद हुबलाल ने आगे आकर जमीन से जुड़े खुलासे किए, जिसके बाद प्रशासन ने करीब 12.5 करोड़ रुपये की संपत्ति को गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्क कर राज्य सरकार के नाम निहित कर दिया था।
इस जमीन की सुरक्षा और देखरेख की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर अरुण कुमार सिंह को बतौर आब्जर्वर सौंपी गई थी, ताकि किसी प्रकार की अवैध गतिविधि न हो। बावजूद इसके, कुछ हिस्ट्रीशीटर और अन्य लोगों ने सरकारी चेतावनी बोर्ड उखाड़कर जमीन पर बाउंड्री बना ली और प्लाटिंग शुरू कर दी।
इस मामले की शिकायत होने पर पुलिस कमिश्नर ने एक राजपत्रित अधिकारी से जांच करवाई। जांच में स्पष्ट हुआ कि यह पूरा खेल इंस्पेक्टर की मिलीभगत से हुआ। इसके बाद कार्रवाई करते हुए डीसीपी नीरज पांडेय ने अरुण कुमार सिंह को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दिए।
इससे पहले पुलिस ने दोबारा जमीन पर बोर्ड लगवाकर सरकारी कब्जा सुनिश्चित किया था। मामला प्रशासनिक लापरवाही और आपराधिक साजिश की तरफ इशारा करता है, जिसकी जांच अब विभागीय स्तर पर आगे बढ़ रही है।