यह मामला राजकीय महिला पॉलिटेक्निक के प्रवक्ता हिमांशु मौर्य द्वारा बुक कराए गए फ्लैट से जुड़ा है। दो साल में फ्लैट सौंपने के वादे पर बुकिंग के बावजूद निर्माण में देरी हुई, जिससे परेशान होकर हिमांशु मौर्य ने रेरा में शिकायत की। रेरा ने 23 अक्टूबर 2019 को कब्जा और व्याज सहित भुगतान का आदेश दिया। इसके खिलाफ पीडीए ने अपील की और 17 अगस्त 2023 को सहमति शपथपत्र के आधार पर मामला निस्तारित कराया, लेकिन आदेशों का पालन नहीं किया गया।
यह मामला बाद में हाईकोर्ट तक गया, जहां एक अक्टूबर 2024 को कोर्ट ने आदेशों के अनुपालन का निर्देश दिया। पीडीए ने फ्लैट का कब्जा तो दिया, लेकिन व्याज की स्पष्ट गणना नहीं की, जिससे आदेश की पूर्णता पर संदेह बना रहा।
आवंटी हिमांशु मौर्य की ओर से रेरा ट्रिब्यूनल में अनुपालन सुनिश्चित करवाने के लिए याचिका दाखिल की गई। ट्रिब्यूनल ने पांच सुनवाईयों में भी जब कोई अधिकारी उपस्थित नहीं हुआ और निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तो 18 अप्रैल 2025 को सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा गया, जिसका भी उल्लंघन हुआ।
12 मई 2025 को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और तकनीकी सदस्य देवेंद्र सिंह चौधरी की पीठ ने पाया कि न तो आदेश निरस्त करने की कोई याचिका दी गई और न ही पालन की कोई सूचना। इसके चलते ट्रिब्यूनल ने जमानती वारंट जारी किया।
आवंटी के अधिवक्ता अमित यादव के अनुसार, बार-बार मांग के बावजूद जब तक स्पष्ट ब्याज गणना उपलब्ध नहीं कराई जाती, तब तक आदेशों के पालन की पुष्टि संभव नहीं है। सचिव की अनुपस्थिति और आदेशों की अनदेखी को गंभीरता से लेते हुए ट्रिब्यूनल ने यह कठोर कदम उठाया।