वाराणसी और अयोध्या में महाकुंभ का प्रभाव
प्रयागराज महाकुंभ के कारण काशी विश्वनाथ मंदिर और अयोध्या के राम मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। जनवरी के अंतिम सप्ताह से ही इन धार्मिक स्थलों पर भक्तों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। इन दिनों काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए 2.5 से 3 किलोमीटर तक की लंबी लाइन लग रही है, जिसमें भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। आने वाले सप्ताह में भी काशी विश्वनाथ मंदिर में इसी तरह की भीड़ रहने का अनुमान है।
महाकुंभ में अब तक 41 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में अब तक उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के अनुसार, 41 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ के 27वें दिन तक संगम में स्नान करने वालों की संख्या 40.68 करोड़ तक पहुंच गई थी, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की चुनौतियां
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के कारण प्रशासन को सुरक्षा और यातायात प्रबंधन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बाहरी वाहनों की एंट्री 9 फरवरी तक प्रतिबंधित कर दी गई है, और बाहर से आने वाले वाहनों को अंतर्जनपदीय डायवर्जन प्वाइंटों पर पार्किंग में खड़ा कर मेला क्षेत्र जाना होगा।
महाकुंभ में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
महाकुंभ के दौरान कई प्रमुख हस्तियां भी संगम में डुबकी लगाने पहुंच रही हैं। हाल ही में अभिनेता राजकुमार राव, ईशा गुप्ता और संजय मिश्रा ने भी संगम में स्नान किया और अपने अनुभव साझा किए। इन हस्तियों की उपस्थिति से महाकुंभ का आकर्षण और बढ़ गया है। महाकुंभ में आगामी प्रमुख स्नान तिथियाँ इस प्रकार हैं:
- माघ पूर्णिमा: 12 फरवरी 2025
- महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025
इन तिथियों पर भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है, जिसके लिए प्रशासन ने विशेष तैयारियां की हैं।
ट्रैफिक जाम से बचने के लिए सुझाव
महाकुंभ के दौरान ट्रैफिक जाम से बचने के लिए प्रशासन ने श्रद्धालुओं को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की सलाह दी है। साथ ही, पार्किंग स्थलों की जानकारी पहले से प्राप्त करके और निर्धारित मार्गों का पालन करके यातायात की समस्याओं से बचा जा सकता है। महाकुंभ की महत्ता
महाकुंभ हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं। मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर आयोजित होने वाला यह मेला आस्था, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है।