एनएमसी ने स्पष्ट किया है कि यदि नौ मई 2025 तक संबंधित कॉलेज 3.54 लाख रुपये की सालाना फीस और 50 हजार रुपये का जुर्माना जमा नहीं करते, तो वर्ष 2025-26 के लिए उनकी एमबीबीएस सीटों की मान्यता रद्द की जा सकती है। यह चेतावनी मिलते ही चिकित्सा शिक्षा विभाग में खलबली मच गई है।
वार्षिक घोषणा पत्र हर मेडिकल कॉलेज के लिए अनिवार्य होता है, जिसमें आधारभूत सुविधाओं, संकाय संख्या, प्रयोगशालाओं और अन्य शैक्षणिक संसाधनों की जानकारी देनी होती है। इसी आधार पर एनएमसी कॉलेजों का निरीक्षण कर सीटों की मान्यता तय करता है।
देशभर में 15 मेडिकल कॉलेजों ने अब तक यह घोषणा पत्र जमा नहीं किया है, जिनमें से सबसे अधिक – पांच – उत्तर प्रदेश के हैं। एनएमसी ने इन कॉलेजों के प्रधानाचार्यों और संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजकर अंतिम चेतावनी दी है।
जिन कॉलेजों पर कार्रवाई हुई है, वो हैं: 1. इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (बीएचयू), वाराणसी – 100 सीटें 2. महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज, झांसी – 150 सीटें 3. मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज – 200 सीटें
4. स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज, कुशीनगर – 100 सीटें 5. सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हापुड़ – 250 सीटें अगर तय समय सीमा तक आवश्यक दस्तावेज और फीस जमा नहीं की गई, तो इन कॉलेजों की एमबीबीएस सीटें खतरे में पड़ सकती हैं। एनएमसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि नौ मई के बाद कोई सुनवाई नहीं की जाएगी।