इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी भी देश के भौतिक, आर्थिक या तकनीकी विकास में इंटरनेट का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है। आज आपसी सम्पर्क, खरीदारी, लेखन, नवनिर्माण, मनोरंजन सहित नवाचार के विभिन्न साधनों में इंटरनेट एक प्रमुख जरिया बन गया है। लेकिन यह जिस तरह से अपराध का मंच भी बनता जा रहा है वह भविष्य के खतरे की ओर आगाह करने वाला है। इंटरनेट की दुनिया के इस आपराधिक प्रभाव का असर बच्चों की मानसिक और शारीरिक विकास पर पड़ रहा है। विशेष रूप से विकासशील देशों में यह एक बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आयी है, जहां इस प्रकार के उत्पीडन के अधिकांश मामले रिपोर्ट ही नहीं किए जाते हैं।
बच्चों के सोशल मीडिया के उपयोग को लेकर कुछ देशों ने कानून भी बनाए है लेकिन ये नाकाफी साबित हो रहे हैं। आज जरुरत इंटरनेट के दुरुपयोग से मुकाबले के लिए वैश्विक स्तर पर एक संयुक्त प्रयास हों। बच्चों और व्यस्कों में एक लत की तरह घुसपैठ कर चुके इंटरनेट पर समय रहते लगाम नहीं लगाई गई तो परिणाम भयावह होते देर नहीं लगने वाली।