Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: आत्मा ही शरीर का चालक है। परा प्रकृति का क्षेत्र है। शरीर अपरा-जड़-क्षेत्र है। हम शरीर का ही अस्तित्व मानकर जीते हैं, कर्म करते हैं। आत्मा को जानने के प्रश्न हमारे मन में उठते ही नहीं। हां, शास्त्रों को सुनते समय हम आत्मा का विवेचन भी सुनते हैं, किन्तु स्वयं से जोड़ नहीं पाते। अपने से भिन्न किसी वस्तु को आत्मा मान लेते हैं। शरीर ही ब्रह्माण्ड शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- स्वच्छन्दता : प्रकृति की
जयपुर•Dec 06, 2024 / 08:49 pm•
Hemant Pandey
Hindi News / Prime / Podcast शरीर ही ब्रह्माण्ड : स्वच्छंदता प्रकृति की