CG Tiger Reserve: केंद्रीय वन मंत्री ने दिए निर्देश
साथ ही भोरमदेव के टाइगर रिजर्व बनने से मध्यप्रदेश के पेंच, कान्हा, महाराष्ट्र के नवेगांव नागझीरा, ताडो़बा, ओडिशा के पलामू, संजय दुबारी और छत्तीसगढ़ के अचानकमार, गुरुघासीदास, बांधवगढ़ बस्तर से लगे वन क्षेत्र में बाघों को विचरण के लिए सुरक्षित कॉरिडोर मिलेगा।
बता दें कि पिछले काफी समय से
भोरमदेव को टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद चल रही थी। इस संबध में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री वन एवं पर्यावरण भूपेंद्र यादव को 23 नवंबर 2024 को पत्र लिखा था। इसमें टाइगर रिजर्व बनाने का अनुरोध किया था।
इसमें बताया गया था कि भोरमदेव अभ्यारण्य, जो कान्हा
टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। एनटीसीए ने 28 जुलाई 2014 को इस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व बनाने की अनुशंसा की थी। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव बोर्ड द्वारा भी इसकी मंजूरी दी थी।
सुरक्षित क्षेत्र
कबीरधाम जिले के कवर्धा वन मंडल 351.24 वर्ग किमी तक फैला हुआ है। यहां बड़ी संख्या में शाकाहारी वन्य प्राणी है। इसके अलावा, बारासिंगा सहित अन्य दुर्लभ वन्यजीवों के संरक्षण में यह क्षेत्र अहम भूमिका निभाएगा। यहां बहुतायत संख्या में वन्यप्राणियों को देखते हुए अक्सर पड़ोसी राज्यों के बाघ अक्सर विचरण करते हुए यहां आते है। भोरमदेव के
टाइगर रिजर्व बनने से सेंट्रल इंडिया के सबसे बड़ा
टाइगर कॉरिडोर के रूप में गिनती होगी। वहीं, बाघों का संख्या में इजाफा होगा। बता दें कि सांसद बृजमोहन अग्रवाल के पत्र के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया है कि भोरमदेव को टाइगर रिजर्व बनाने उनके मंत्रालय ने 17 दिसंबर 2024 को वन विभाग को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए है।