इस परियोजना के शुरू होने से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के 269 गांवों को लाभ मिलेगा। सीएम ने पीएम से चर्चा के दौरान कहा, बस्तर संभाग लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहा है। इसी वजह से संभाग सिंचाई साधनों के विकास में पिछड़ गया है। बस्तर क्षेत्र के चहुमुखी विकास के लिए बोधघाट बहुउद्देशीय बांध परियोजना निर्णायक साबित होगी। यह परियोजना, लंबे समय से इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित है।
इंद्रावती, गोदावरी नदी की बड़ी सहायक नदी है। गोदावरी जल विवाद अभिकरण के वर्ष 1980 के अवॉर्ड में भी अन्य योजनाओं के साथ इस परियोजना का उल्लेख है। इस अवॉर्ड में उल्लेखित अन्य परियोजनाओं का क्रियान्वयन दूसरे राज्यों द्वारा किया जा चुका है परंतु दूरस्थ अंचल में होने एवं
नक्सल समस्या के कारण इस परियोजना को प्रारंभ नहीं किया जा सका।
यह है बोधघाट परियोजना
29 हजार करोड़ रुपए की होगी परियोजना।
125 मेगावाट का विद्युत् का उत्पादन होगा।
4824 टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन होगा।
3,78,475 हेक्टेयर में सिंचाई का विस्तार होगा।
49 मि.घ. मी. पेयजल मिलेगा।
269 गांवों को मिलेगा लाभ।
36 गांव आ सकते हैं डुबान प्रभावित क्षेत्र में।
यह है इंद्रावती- महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना
20 हजार करोड़ रुपए की होगी परियोजना।
3,00,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में मिलेगी सिंचाई सुविधा।
कांकेर जिले को होगा सबसे अधिक फायदा। यह है बोध घाट परियोजना का इतिहास
बोधघाट परियोजना गोदावरी नदी की बड़ी सहायक इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित है। राज्य में इन्द्रावती नदी कुल 264 किलोमीटर है। यह परियोजना दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड एवं तहसील गीदम के ग्राम बारसूर से लगभग 8 किलोमीटर एवं जगदलपुर शहर से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर प्रस्तावित है। केंद्र सरकार ने जनवरी 1979 में बोधघाट परियोजना और आंध्रप्रदेश की पोलावरम परियोजना को मंजूरी दी थी। पोलावरम का काम 75 प्रतिशत पूरा हो चुका है, जबकि बोधघाट में अभी शुरुआत नहीं हुई। इसके लिए केंद्रीय एजेंसी ने सर्वे कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। वहीं केंद्र सरकार ने हाइड्रोलॉजी रिपोर्ट को हरी झंडी दे दी है। इसके डीपीआर पर काम हो रहा है। हालांकि इस पर पर्यावरणविदों ने इस पर आपत्ति जताई थी। नक्सलवाद की वजह से भी इसका काम रूका हुआ था।