जबकि लोगों को हर 15 मिनट में सिटी बस की सुविधा मिलनी चाहिए थी। लेकिन, एक स्थान से रवाना होने के बाद दूसरी बस 2-3 घंटे बाद पहुंच रही है। इसके चलते लोगों को ऑटो, निजी टैक्सी और यात्री बसों का सहारा लेना पड़ रहा है। मजबूरी में जान हथेली पर लेकर इसमें यात्री सफर कर रहे हैं।
CG City Bus: सालों से खड़ी हैं सिटी बसें
हालात यह है कि पुरानी हो चुकी इन बसों के खराब होने पर पार्ट्स तक नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते पंडरी में खुले आसमान के नीचे धूल खाते हुए पड़ी है। किसी बस से खराब होने पर डंप कर रखे गए वाहनों के सामान निकालकर दूसरे में लगाया जा रहा है। बता दें कि राज्य सरकार के निर्देश पर
सार्वजनिक शहरी यातायात सोसाइटी द्वारा सिटी बसों का संचालन शुरू किया था। देशभर के महानगरों की तर्ज पर यात्री सुविधा के लिए चलाया जाना था।
मेंटेनेंस के लिए 1.24 करोड़
चलने लायक सिटी बसों को चिन्हांकित करने के बाद 67 सिटी बसों की मरमत करने के लिए 1.24 करोड़ रुपए देना था। इसमें से बस संचालक को 85 लाख रुपए का भुगतान मेंटेनेंस के लिए दिया गया था। उक्त राशि खर्च करने के बाद बसों के सड़कों पर आते ही खराब होने पर धीरे-धीरे बाहर हो गई। इस समय हालात यह है कि
सिटी बसों का विकल्प नहीं होने के कारण किसी तरह इनका संचालन किया जा रहा है।
एसी बसें हुईं गायब
स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट माना से दुर्ग बस स्टैंण्ड और शहर के कुछ अन्य मार्गो पर 18 एसी बसों को चलाया जाना था। इस समय एक भी एसी बस नहीं चल रही है, जबकि सार्वजनिक शहरी यातायात सोसाइटी ने सभी सिटी बसों को फरवरी 2023 में शुरू करने का निर्देश दिया था। अब चलने लायक नहीं होने के कारण 5 बसों को मरमत के बाद मार्च 2023 में शुरू किया गया था। लेकिन, बस मालिकों द्वारा विवाद करने और तोड़फोड करने पर इसे कुछ दिनों बाद बंद कर दिया गया।
कबाड़ हुईं बसें
शहर में सिटी बसों का संचालन 2014-15 में शुरू किया गया था।
कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के दौरान मार्च 2020 से दिसंबर 2022 तक दो साल तक यह बसें खड़ी रहीं। लंबे अंतराल तक एक ही स्थान पर खड़ी रहने के कारण बसें खराब हो गईं। इसके बाद मरमत और सर्विसिंग कर दोबारा शुरू किया गया। लेकिन, पुरानी हो चुकी इन बसों को 30 से ज्यादा स्पीड में चलाने पर वह हिलने लगती है।
वहीं, स्पीड में रहने पर तुरंत ब्रेक भी नहीं लगता। इस डर के चलते अधिकांश यात्री भी सिटी बसों में सफर करने से परहेज करते हैं। सिटी बस संचालक मनीष जैन का कहना है कि 15 वर्ष पुरानी बसों को किसी तरह मरमत करने के बाद चलाया जा रहा है। इसकी कंपनी बंद होने के कारण अधिकांश बस के पार्ट्स भी नहीं मिल रहे हैं। इसके कारण इनका संचालन करने में परेशानी हो रही है।