डॉक्टरों के अनुसार सर्पदंश के दो घंटे के भीतर एंटी वेनम इंजेक्शन लगने से 90 फीसदी मरीजों की जान बच जाती है। प्री मानसून बारिश के बाद से ही बिलों में रहने वाले जहरीले सांप बाहर आ रहे हैं। खासकर जून से अगस्त तक सर्पदंश के केस ज्यादा आते हैं। लक्षण के अनुसार डॉक्टर अंदाजा लगा लेते हैं कि किस सांप ने डंसा होगा। विशेषज्ञों के अनुसार सभी सांप जहरीले नहीं होते।
कई केस में मरीजों की घबराहट में जान चली जाती है।
प्रदेश के जशपुर को नागलोक कहा जाता है। वहां सबसे ज्यादा केस फरसाबहार में आता है। पत्थलगांव, बगीचा, कांसाबेल, जशपुर, मनोरा व दुलदुला अस्पतालों में सर्पदंश के काफी केस पहुंचते हैं।
कोबरा-करैत जानलेवा, वेंटीलेटर की जरूरत
कोबरा व करैत काफी जहरीले सांप है। इन दोनों सांप के काटने के बाद ज्यादातर मरीजों को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है। दरअसल फेफड़े फेल होने लगते हैं। इससे हाथ-पैर भी काम करना बंद कर देता है। आंखें बंद होने लगती है। सीनियर फेफड़ा सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार ब्लड में ऑक्सीजन सेचुरेशन भी 65 से नीचे पहुंच जाता है। ऐसे केस में मरीज को वेंटीलेटर पर रखना बहुत जरूरी है। समय पर पहुंचने पर कई मरीजों की जान बचाई जा सकती है। सीजीएमएससी के वेयर हाउस में एक लाख 10 हजार 133 इंजेक्शन वितरण के लिए तैयार है।
सांप डंस ले तो ये करें
- सांप ने जहां पर डंसा हो, वहां कपड़े से बांध दें लेकिन ज्यादा टाइट नहीं।
- सर्पदंश वाली जगह पर छेड़छाड़ न करें। यानी कांटे-छांटे नहीं।
- दो घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचने पर पर्याप्त इलाज मिलेगा।
- मरीज की हिम्मत बढ़ाएं, न कि डराएं।
- पीड़ित को सोने न दें और चाय पिलाते रहें।
ये बिल्कुल न करें
- घबराहट न लाएं। डरें नहीं।
- इधर-उधर न जाएं। जहर फैलने की आशंका बढ़ जाती है।
- न आंख बंद करें और न ही सोने जाएं।
- बैगा-गुनिया से झाड़ फूंक न कराएं। तत्काल अस्पताल जाएं।
- बारिश के सीजन में जमीन पर न सोएं।
- खेत जाएं तो पर्याप्त सावधानी बरतें।
टॉपिक एक्सपर्ट
जहरीले सांप के डंसने के बाद बैगा-गुनिया के पास जाने के बजाय दो घंटे के भीतर अस्पताल पहुंच जाएं। एंटी वेनम का डोज लगने के बाद मरीज ठीक होने लगता है। सर्पदंश के दो घंटे या इसके भीतर पहुंचने वाले 90 फीसदी से ज्यादा मरीजों की जान बचाई गई।
– डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा, प्रोफेसर मेडिसिन आंबेडकर अस्पताल